सौहार्द की मिसाल है रेमेंडा गांव, 120 सालों से मुस्लिम परिवार मना रहा है रथयात्रा
इस गांव का एक मुस्लिम परिवार दो तीन पीढ़ियों से रथयात्रा का आयोजन मुख्य जजमान के रूप में करता है।
बेलपहाड़, जेएनएन। एक तरफ भारत में कई जगहों पर हिन्दू-मुस्लिम जैसे साम्प्रदायिक दंगे और मुंहजुबानी युद्ध हो रहा है वहीं झारसुगुड़ा जिले के लखनपुर ब्लाक के रेमेंडा गांव में हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की मिसाल कायम किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार झारसुगुड़ा जिला मुख्यालय से मात्र कुछ किलो मीटर दूर रेमेंडा गांव है। इस गांव का एक मुस्लिम परिवार दो तीन पीढ़ियों से रथयात्रा का आयोजन मुख्य जजमान के रूप में करता है। इस परिवार का मुखिया गत 120 वर्षों से भी ज्यादा समय से रथयात्रा के निकलने से पहले छेरा-पहंरा
यानि रथ के सामने झाड़ू लगाने का काम कर करते आ रहे हैं।
इसी कड़ी में इसी परिवार के मुखिया जमीउल्लाह ने जागरण को बताया कि मैं सन 1983 से छेरा-पहंरा करते आ रहे है। रोजाना पांच वक्त का नमाजी हूं तथा मैं इसी तरह से ईद, नुआखाई तथा अन्य हिन्दू
मुसलमान दोनों के ही त्योहार में शामिल होता हूं। इस विषय में रेमेंडा गांव के सरपंच दमयंती दानी ने कहा कि हमारे गांव में पूरी के रथ से तीन दिन बाद रथयात्रा किया जाता है तथा इसमे हमारे गांव के मुखिया (गोतिया) जमीउल्लाह के परिवार वालों के साथ-साथ सभी समुदाय के लोग के लोग भाग लेते है।
इसी संदर्भ में गांव के ही मोहम्मद रउफ ने बताया कि हम यहां के सभी पूजा में भाग लेते है। हमारे बीच में कोई हिन्दू या मुसलमान नहीं है। सभी आपस में भाईचारे के साथ रहते है। पुजारी सुभाष सतपथी ने कहा कि मोहम्मद जमीउल्लाह को सरला सम्मान से नवाजा भी गया है। उन्होंने बताया कि हमारे गांव में काफी सालों से इन्हीं के परिवार द्वारा ही छेरा-पहरा किया जाता है। हमारे बीच किसी भी प्रकार की मजहबी दूरी नहीं है, हमसब एक दूसरे के त्योहारों में शरीक होते है।
बता दे की रथयात्रा ओडिशा का सबसे मुख्य त्योहारों में से एक है और सालों साल से गांव में मुस्लिम परिवार द्वारा इस पुनीत पर्व में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया जाता है जो कि जिले में ही नहीं पूरे भारत वर्ष में एक अनोखी मिसाल है।