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भ्रांतियों के चक्कर में मानवता भी भूल गए बघरचक्कावासी

कुष्ठ रोग को लेकर समाज में भ्रांतियां आज भी कायम हैं। इसका जीता जागता उदाहरण नगर के गांधी चौक समीप स्थित बधरचक्का गांव में देखने को मिला है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 07:52 AM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 07:52 AM (IST)
भ्रांतियों के चक्कर में मानवता भी भूल गए बघरचक्कावासी
भ्रांतियों के चक्कर में मानवता भी भूल गए बघरचक्कावासी

संसू, ब्रजराजनगर : कुष्ठ रोग को लेकर समाज में भ्रांतियां आज भी कायम हैं। इसका जीता जागता उदाहरण नगर के गांधी चौक के समीप बघरचक्का गांव में देखने को मिला है। यहां एक कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति की मौत के बाद उसे कंधा देने के लिए गांव का कोई व्यक्ति आगे नहीं आया। जबकि उसका बेटा लोगों से पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए गुजारिश करता रहा लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनीं। करीब 12 घंटे के बाद क्षेत्र के पूर्व विधायक अनूप साय की पहल पर कुष्ठ रोगी को चार कंधे नसीब हुए और उनका अंतिम संस्कार हुआ।

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घटनाक्रम के अनुसार, बघरचक्का गांव के निवासी भूखल उर्मा को कुष्ठ रोग हो जाने की वजह से समाज ने काफी पहले बहिष्कृत कर दिया था। गांव के लोग उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं रखते थे। सात साल पहले उनका बड़ा बेटा भी घर छोड़ कर चला गया जबकि उसकी पत्नी एवं बच्चे यहां रह रहे हैं। छोटा बेटा अविवाहित है। उर्मा छोट बेटे व बहू-बच्चों के साथ किसी तरह अपना जीवनयापन कर रहे थे। मंगलवार की भोर 70 साल की उम्र में भूखल का निधन हो गया। पिता की मौत के बाद बेहाल छोटे बेटे के सामने शव को श्मशान तक ले जाने समस्या खड़ी हो गई। ऐसे में उसने अपनी जाति वालों के दरवाजे जाकर पिता के पार्थिव शरीर को कंधा देने के लिए गुहार लगाई लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। अपनों को इस बेरुखी से लाचार बेटा वापस लौट आया और पिता के शव के पास रोता रहा। करीब 12 घंटे बाद किसी से इसकी खबर पूर्व विधायक अनूप साय तक पहुंची। पूर्व विधायक ने तुरंत अपने बड़े भाई प्रमोद साय को भूखल उर्मा का अंतिम संस्कार कराने के लिए बघरचक्का भेजा। साय ने बीजू युवा वाहिनी के सदस्यों की सहायता से भूखल के पार्थिव शरीर को गांव स्थित श्मशान में पहुंचाया जहां पर उन्हें दफनाया गया। इसमें युवा वाहिनी के संयोजक आशीष राणा, राजपुर अध्यक्ष तुषार कांत देव, गांधी चौक अध्यक्ष कमल राउत, तथा आशीष साय, मनोज मेहर, उज्जवल ¨सह, रंजन मिर्धा, विकास देहरी, संजय ओराम तथा शुभम नंद ने सहयोग किया।


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