आक्सीजन लेबल गिरा और मर गई मछलियां
कोरोना की दूसरी लहर में आदमियों ने तो सबक ले लिया लेकिन हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। आक्सीजन की सभी को जरूरत होती है। चाहे वह इंसान हो या जीव जन्तु। आक्सीजन की कमी से वह मर जाता है। वहीं नगरपालिका ने भी अनदेखी की है।
संसू, झारसुगुड़ा : कोरोना की दूसरी लहर में आदमियों ने तो सबक ले लिया लेकिन हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। आक्सीजन की सभी को जरूरत होती है। चाहे वह इंसान हो या जीव जन्तु। आक्सीजन की कमी से वह मर जाता है। वहीं नगरपालिका ने भी अनदेखी की है। मत्स्य विभाग भी पीछे नहीं रहा। जब तालाब में हजारों मछलियां मर गई तब जागृत हुआ। इसके बाद तालाब के पानी की जांच हुई। रिपोर्ट आई पानी का अम्लीय तत्व व आक्सीजन लेबल कम हो गया था। गंदी और प्रदूषण से पूरा भर गया था। जानकारी हो कि झारसुगुड़ा शहर के पुरानाबस्ती स्थित तालाब में गत 16 सितंबर को एक साथ हजारों मछलियां मर गई थी। सूचना मिलने पर मत्स्य विभाग हरकत में आया है पानी की जांच कराई। ज्यादा प्रदूषण के कारण तालाब का आक्सीजन लेबल काफी कम हो गया था। बताया जाता है कि ताबाल में शहर भर की गंदी (नाला व नालियों का पानी) के साथ ही जहरीला कचरा सीधे गिरता है। इसी के कारण पानी प्रदूषित हो गया है। तालाब में अम्लीय तत्व व भरे कचरे के कारण ही मछलियां एक साथ मर गई है। जिला मत्स्य विभाग के जेएफटीए पीडेलकी (भारप्राप्त एएफओ झारसुगुड़ा) ने कही है। बताया कि तालाब के पानी का संग्रह कर उसकी जांच करने के बाद ही उक्त रिपोर्ट आई है। जांच में पाया गया कि तालाब में कचरा व अन्य पौधे इचोर्निया क्रासाइप का संक्रमण बढ़ रहा है। यह द्वितीय अम्लीय तत्व के स्तर को कम कर रहा है। तालाब में फैली गंदी व अन्य पौधो को तत्काल हटाया जाए। जिससे फिर कभी ऐसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। विभाग ने तालाब में प्रति एक एकड़ में सौ किलो ग्राम चूना डालने की बात कही है। साथ ही उक्त तालाब में शहर के गंदे पानी को प्रवेश पर रोक लगाने की व्यवस्था करने की बात कही। तालाब के पानी को स्वच्छ रखने को आवश्यक कदम उठाए जाने की बात का उल्लेख रिपोर्ट में किया है।