झारसुगुड़ा में अवैध खनन का धंधा जोरों पर, जवाबदेहों की उदासीनता पर उठा सवाल
Illegal mining business. झारसुगुड़ा में 32 बालू घाटों का नहीं है लाइसेंस, जवाबदेहों की उदासीनता पर उठ रहे हैं सवाल।
झारसुगुड़ा, जेएनएन। जिले में गैरकानूनी तरीके से बालू घाट का संचालन किया जा रहा है। नियमानुसार बालू घाट को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कन्सेंट टू आपरेट की अनुमति मिलने के बाद ही घाट से बालू उठाई जानी चाहिए, लेकिन जिले में 32 बालू घाटों का वैध कन्सेंट टू आपरेट ही नहीं है। इसके बावजूद भी प्रदूषण विभाग व जिला प्रशासन आंख बंद किए बैठा है। इसे लेकर ऐसा लगता है कि इनकी मौन सहमति बालू माफियाओं के साथ है।
जिला प्रशासन के तथ्यों के अनुसार, जिला की पांच तहसील में से सबसे ज्यादा 19 बालू घाट की लीज है। वहीं कोलाबीरा में आठ, लखनपुर में दो, किरमिरा में दो, लैयकरा एक बालू घाट की लीज दी गई है। कुल मिलाकर 32 बालू घाट जिला में सरकारी रूप से चल रही है। झारसुगुड़ा अंचल में दो प्रमुख नदी, ईंब व भेड़ेन नदी है। इसलिए यहां सर्वाधिक बालू घाट है। बालू घाट के लिए माइनिंग प्लान का अनुमोदन, परिवेश की मंजूरी, एनओसी के साथ कन्सेंट टू आपरेट की आवश्यकता जरूरी है। जहां ये नहीं है वहां से बालू नहीं उठायी जा सकती। मगर जिला में उक्त सभी नीति नियम व शर्ते खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
आंचलिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निरंजन मल्लिक ने बताया कि जिला में एक भी बालू घाट को कन्सेंट टू आपरेट नहीं दिया गया है। इसे लेकर वे विभिन्न समय में तहसीलदार व राजस्व अधिकारी से इसकी शिकायत कर चुके हैं और अतिशीघ्र गैरकानूनी रूप से चल रही बालू घाट पर बोर्ड की ओर से कार्रवाई की जाएगी।
वहीं प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने कहा कि बालू घाट से सरकार को राजस्व मिलता है इसलिए कुछ क्षेत्रों में रियायत दी गई है। वहीं सरकार को राजस्व मिलने की बात कहकर गैरकानूनी काम को प्रोत्साहित करना कहां तक उचित होने की प्रश्न उठने लगा है। वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से जिला में बालू माफियाओं का सीधा लाभ मिल रहा है।