दो चापाकलों के सहारे 80 परिवार
इसे व्यवस्था का दोष कहें या कुछ और कि हर वर्ष गर्मी के
जागरण संवाददाता, झारसुगुड़ा : इसे व्यवस्था का दोष कहें या कुछ और कि हर वर्ष गर्मी के मौसम में लोगों को पेयजल की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। यदि समय रहते खराब चापाकलों की मरम्मत व अन्य पेयजल स्रोतों का रखरखाव किया जाता तो शायद ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिलती।
यह हाल है झारसुगुड़ा जिले के कोलाबीरा ब्लॉक अंतर्गत झिर्लापाली पंचायत के बड़बहाल गांव का। गांव के डुंगरीपाड़ा, लेंद्रापाड़ा व बड़बहाल चौक पाड़ा में करीब 80 से अधिक घर व करीबन 600 लोग फिलहाल पानी के लिए तरस रहे हैं। गांव में चार चापाकल है जिसमें से दो खराब हैं जबकि दो चापाकलों से मटमैला पानी निकल रहा है। फिलहाल गांव वाले इन्हीं दोनों चापकलों से अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। गांव के कदलीमुंडा में एक तालाब है जो पूरी तरह सूखने के कगार पर है। तालाब में जो थोड़ा बहुत पानी बचा है वह कीचड़युक्त हो गया है। इसके जीर्णोद्धार की मांग ग्रामीणों द्वारा काफी अरसे से की जा रही है लेकिन व्यवस्था के कान पर जू तक नहीं रेंगा।
ग्रामीणों के बोल
कदलीमुंडा स्थित तालाब का सही तरीके से खनन व जीर्णोद्धार जरूरी है। इस तालाब पर कदलीमुंडा, डुंगरीपाड़ा, लेंद्रापाड़ व बड़बहाल गांव के लोग निर्भर है। पानी की समस्या काफी हद तक समाप्त हो गई है। फिलहाल गांव में पानी का अभाव है। दूर से जाकर पानी लाना पड़ रहा है। खराब पड़े चापाकलों को दुरुस्त किया जाना चाहिए।
वेणुधर पटेल, ग्रामीण
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हर वर्ष तालाब पूरी तरह सूख जाता है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। बस्ती में चार चापाकलों में से दो हैं। पानी के लिए लोग दूर- दूर भटकते रहते हैं। फिर लोगों को जरूरत के अनुसार पानी नहीं मिल पाता है।
विभिषण किसान, ग्रामीण