राजपुर की बोयल यात्रा में उमड़े श्रद्धालु
संबलपुर के महाराजा बलियार ¨सह के वंशज राज¨सह द्वारा करीब 300 वर्ष पहले अपने शासन काल में शुरू राजपुर की बोयल यात्रा आज भी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ निकाली जाती है। सोमवार को इस यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
संसू, ब्रजराजनगर : संबलपुर के महाराजा बलियार ¨सह के वंशज राज¨सह द्वारा करीब 300 वर्ष पहले अपने शासनकाल में शुरू की गई राजपुर की बोयल यात्रा आज भी उसी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनायी जाती है। इसी के तहत सोमवार को राजपुर के समलेश्वरी मंदिर में मां समलेश्वरी समेत दक्षिण काली, महामाया, दुर्गा, बाट मंगला, बाट भैरव, बंजारी, खंबेश्वरी आदि की पूजा के साथ शारदीय महोत्सव का शुभारंभ हुआ। राज पुरोहित प्रदीप पाटजोशी द्वारा विधि विधान से पूजा अर्चना के उपरांत बोयल यात्रा शाम को निकली। मंत्रों के माध्यम से मां का आह्वान कर देवी का प्रवेश कराया गया। बाद में मशालों के प्रकाश में झांकर (व्यक्ति) को गाजे-बाजे के साथ देवगांव के नौकाघाट ले जाया गया। यहां देवी का पुन: आह्वान करने के उपरांत देवगांव, मझियापाड़ा होते हुए सरगीमाल गांव ले जाया गया। इस दौरान रास्ते में श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों के सामने बरुआ में विद्यमान मां की पूजा कर आशीर्वाद ग्रहण किया।
सरगीमाल गांव घूमने के उपरांत बरुआ दुर्गा मंदिर से तलवार लेकर खेल दिखाता हुआ राजपुर जमींदार के घर पहुंचा। कहा जाता है कि इसी स्थान पर मां समलेश्वरी की मुलाकात मां दुर्गा एवं महालया के साथ होती है। तीनों माताओं की मुलाकात के बाद बरुआ श्रद्धालुओं के साथ वापस समेश्वरी मंदिर पहुंचता है जहां पंडित द्वारा उसके शरीर में विद्यमान देवी शक्ति को विदा किया जाता है। इस यात्रा को बलियात्रा भी कहा जाता है एवं दूर-दूर से श्रद्धालु इस मौके पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर मां का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।