मातृभाषा में हस्ताक्षर करना खुद के लिए गौरव की बात: राज्यपाल
प्रत्येक राष्ट्र के लिए उसकी मातृ भाषा महान होती है। मातृभाषा में हस्ताक्षर करना खुाद के लिए गोरव की बात है।
जासं, कटक : प्रत्येक राष्ट्र के लिए उसकी मातृ भाषा महान होती है। मातृभाषा में हस्ताक्षर करना खुद के लिए गौरव की बात है। मातृभाषा के प्रति जागरूक करने के लिए एक दिन नहीं बल्कि साल तमाम हस्ताक्षर अभियान चलने की बात राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कही।
भाषा एवं साहित्य तथा संस्कृति अनुष्ठान नीलशैल, राजकिशोर राज स्मृति संसद तथा विश्व ओड़िया सम्मेलनी के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय शताब्दी भवन में शनिवार को आयोजित ओड़िया हस्ताक्षर संकल्प दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इतने अनूठे ढंग से इस दिवस का पालन करना सराहनीय है। राज्यपाल ने ओड़िया में अपना हस्ताक्षर कर इस अभियान का शुभारंभ किया। ओड़िया में हस्ताक्षर कर राज्यपाल राज्यवासियों के लिए आकर्षण बन गए। राज्यपाल ने कहा कि ओड़िया लोगों को भगवान ने अपने से भी श्रेष्ठ बनाया है। यही एक जगह है जहां पर भगवान स्वयं लोगों का दर्शन करने अपने मंदिर से निकलकर बाहर आते हैं। यहां के लोग उनके बालों को अंगुली से संवारते हैं। सोने के आभूषण से उन्हें सजाते हैं एवं 108 कलश जल से मल मलकर नहलाते हैं तथा काढ़ा भी पिलाकर उनका इलाज करते हैं। यह पुण्य भूमि ओडिशा में ही है।
नीलशैल के अध्यक्ष धरणीधर नायक की अध्यक्षता में आयोजित इस उत्सव में मुख्य वक्ता एवं समवाय मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वांई ने कहा कि नीलशैल का यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक कदम है। अनेकता में एकता ही भारत की विशेषता है।
डॉ. मुरली मनोहर शर्मा ने कहा कि अजात मृत: मूर्खाणाम वरण आद्यो न च अंतिम: अर्थात जिसके पास संतान नहीं है या जन्म होने के बाद मृत्यु हो गई, वह तो दुखी है ही लेकिन इन सबसे ज्यादा दुखी वह है जिसको संतान होते हुए भी वह मूर्ख है। ऐसे में अपने बच्चों को पढ़ाना और मातृभाषा में पढ़ाने की जरूरत है, वरना इसके लिए आजीवन माता-पिता को पछताना पड़ेगा। डॉ. शर्मा ने इस अवसर पर उपस्थित मंत्री से राज्य के स्कूलों में व्याप्त विभिन्न समस्याओं पर ध्यान देने का अनुरोध किया। कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने कहा है कि देश को विकसित करना है तो शिक्षा को विकसित करना होगा।