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नाबालिग दुष्कर्म आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट की अहम राय

नाबालिग दुष्कर्म मामले में आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान पीड़िता या फिर उनकी ओर से किसी को भी अदालत में मौजूद रहना इस कानून में अनिवार्य बताया गया है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 03:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 03:19 PM (IST)
नाबालिग दुष्कर्म आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट की अहम राय
नाबालिग दुष्कर्म आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट की अहम राय

कटक, जागरण संवाददाता। नाबालिग दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार होने वाले आरोपी की जमानत मामले में अब नाबालिग को पक्ष बनाया जाएगा। पीड़िता या फिर उनकी ओर से मामला दर्ज करने वाले या फिर उनकी ओर से कोई भी दुष्कर्मकारी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहेंगे। एक नाबालिग को दुष्कर्म करने के आरोप में गिरफ्तार होने वाले एक आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के मौके पर यह अहम राय हाईकोर्ट ने दी है। 

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 इस राय के संबंध में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (जुडिशियल) तमाम निचली अदालत को प्रैक्टिस नोटिस या विज्ञप्ति के जरिए अवगत कराने के लिए मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस.के पाणीग्राही ने यह निर्देश जारी किया है। मामले से पता चला है कि गजपति जिला काशीनगर थाना इलाके में होने वाली एक दुष्कर्म घटने में आरोपी जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगायी थी। जिसे आरोपी के वकील विरोध करने के साथ-साथ उसकी जरूरत ना होने की बात अदालत को दर्शाये। लेकिन हाईकोर्ट ने सुनवाई के मौके पर कहां है कि नाबालिग दुष्कर्म घटना में आरोपी जमानत के लिए आया है। इसलिए पीड़िता या फिर पीड़िता की ओर से आरोप लगाने वाले या फिर उनकी पक्ष की ओर से किसी को भी अदालत में मौजूद रहना जरूरी है। जिसे कभी भी किनारा नहीं किया जा सकता है। 

 इस संबंध में क्रिमिनल लॉ (संशोधन) एक्ट 2018 में जिक्र किया गया है और दिल्ली हाईकोर्ट भी एक मामले की राय में यह बात स्पष्ट किया है। उस क्रिमिनल संशोधित कानून और सीआरपीसी की धारा 439 को इसी साल के अप्रैल 21 तारीख से लागू की गई है। जिसके तहत नाबालिग दुष्कर्म मामले में आरोपी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान पीड़िता या फिर उनकी ओर से किसी को भी अदालत में मौजूद रहना इस कानून में अनिवार्य बताया गया है।

 उसी के मद्देनजर पीड़िता को नोटिस जारी ना करना एक बड़ी गलती होगी और यह विधि व्यवस्था का भी खिलाफत है। इसलिए इन सब को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जुडिशियल इस बारे में हर एक निम्न ने अदालत को प्रैक्टिस नोटिस भेजने के लिए निर्देश जारी किया है हाईकोर्ट । इसके साथ ही साथ हाईकोर्ट से इस जमानत मामले में पीड़िता को पक्ष बनाने के लिए भी हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। 


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