रत्न भंडार व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए
ओडिशा के पुरी स्थित श्रीमंदिर रत्न भंडार की चाबी गायब होन
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : ओडिशा के पुरी स्थित श्रीमंदिर रत्न भंडार की चाबी गायब होने को, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बड़ी बात बताई है। बुधवार को शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रत्न भंडार की व्यवस्था कब से है, इसकी समीक्षा होनी चाहिए। इस तरह श्रीमंदिर के एक महत्वपूर्ण कमरे की चाबी गायब होना कोई छोटी बात नहीं है। ऐसे में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, संस्कृति एवं कानून मंत्री, श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक, पुरी के गजपति महाराज तथा सेवायत को लेकर समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीमंदिर के आध्यात्मिक नेतृत्व को श्रीहीन करने का प्रयास चल रहा है। शंकराचार्य ने कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा है की चाबी गायब होने की बात जानने के बाद भी सरकार चुप्पी क्यों साधे हुए थी। उल्लेखनीय है कि श्रीमंदिर रत्न भंडार की चाबी कौन रखेगा, संपत्ति की जांच कौन करेगा, इसके लिए विशेष कानून है। वर्ष 1960 जगन्नाथ मंदिर कानून में यह बात स्पष्ट उल्लेखित है। प्रत्येक 6 महीने में इसकी जांच होने की बात भी है। बावजूद इसके वर्ष 1985 के बाद से इस संवैधानिक दायित्व के अनुपालन में श्रीमंदिर प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। अब श्रीमंदिर के रत्न भंडार की चार माह से चाबी गायब होने का मामला उग्र रूप धारण करने के बाद सरकार ने कमेटी का गठन किया है।
रघुवीर दास आयोग करेगा मामले की जांच
पुरी श्रीमंदिर के रत्न भंडार की चाबी गायब होने मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने आयोग का गठन कर दिया है। ओडिशा हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस रघुवीर दास को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। श्रीमंदिर के रत्न भंडार की चाबी गायब होने की बात सामने आने के बाद इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। ऐसे में राज्य सरकार ने आयोग के जरिए न्यायिक जांच कराने का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस रघुवीर दास को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।