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धरती जितनी मनुष्यों की है उतनी ही वन्यप्राणियों की भी, भावी पीढ़ी को समझना होगा जीवों का महत्व: अविनाश खेमका

इस पृथ्वी का हर प्राणी अनमोल है और प्रकृति की देन है। पृथ्वी और आकाश जंगल और मैदान झीलें और नदियां पहाड़ और समुद्र ये सभी उत्कृष्ट शिक्षक हैं और हमें ये इतना कुछ सिखाते हैं। कुछ ऐसे ही प्रकृति ने अविनाश खेमका को अपना दीवाना बना लिया है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 06 May 2022 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2022 02:28 PM (IST)
धरती जितनी मनुष्यों की है उतनी ही वन्यप्राणियों की भी, भावी पीढ़ी को समझना होगा जीवों का महत्व: अविनाश खेमका
मंगलाजोड़ी पक्षी अभयारण्य की झलक: पक्षी अभयारण्य को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी को देखते ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक।

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। यह पृथ्वी जितनी हम मनुष्यों की है, उतनी ही पशु-पक्षियों की भी है। हमें जितनी स्वतंत्रता से जीने का अधिकार है उतना ही अधिकार पशु-पक्षियों के साथ हर उस जीव का भी है, जिसने इस धरा पर जन्म लिया है। मनुष्य को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि वह दूसरे के जीवन में हस्तक्षेप करे। इसलिए हमें हर जीव के साथ सामंजस्य स्थापित करके रहना चाहिए। इस पृथ्वी का हर प्राणी अनमोल है और प्रकृति की देन है। भावी पीढ़ी को वन्य प्राणियों का महत्व समझना होगा। दैनिक जागरण से बात करते हुए उक्त बातें प्रकृति प्रेमी अविनाश खेमका ने कही है।

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अविनाश खेमका, प्रकृति प्रेमी

किसी ने क्या खूब लिखा है कि पृथ्वी और आकाश, जंगल और मैदान, झीलें और नदियां, पहाड़ और समुद्र, ये सभी उत्कृष्ट शिक्षक हैं और हमें ये इतना कुछ सिखाते हैं, जितना हम किताबों से नहीं सीख सकते। पृथ्वी फूलों में हंसती है। हर फूल प्रकृति में खिली आत्मा है। वह सबसे धनवान है, जो कम से कम में संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि प्रकृति की दौलत है।

कुछ ऐसे ही प्रकृति ने अविनाश खेमका को अपना दीवाना बना लिया है। सब कुछ होने के बावजूद उनकी संतुष्टि प्रकृति से प्रेम में आकर टिक गयी है। एक बार वह मंगला जोड़ी घूमने क्या गये कि वहां की मनोरम छटा में इतना रम गये कि प्रकृति के प्रेम को लोगों तक पहुंचाने की मुहिम में जुट गये। उनकी मुहिम आज रंग भी ला रही है। उन्होंने मंगलाजोड़ी की प्रकृति को “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी”में सहेज दिया है। यदि आप मंगलाजोड़ी नहीं जा सकते हैं, तो इस कॉफी टेबल बुक को एक बार जरूर निहार लीजिए। वहां की प्रकृति के प्रेम दीवाने होने से नहीं बच पायेंगे। अविनाश खेमका ने कॉफी टेबल बुक “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” उन यादों को सहेजा है, जिसे उन्होंने अपने मंगलाजोड़ी प्रवास के दौरान मनोरम दृश्यों में खुद के कैमरे से कैद किया है। इस बुक की हर तस्वीर मंगलाजोड़ी की प्रकृति की प्रेम की उत्कृष्टता की बयां कर रही है।

जनिए कौन हैं अविनाश खेमका

एक सामान्य युवक से उद्योगपति और उद्योगपति से प्रकृति प्रेमी तक के सफर को जीने वाले अविनाश खेमका का जन्म ओडिशा के भद्रक जिले में 22 नवंबर 1973 को हुआ। पढ़ाई तो उन्होंने कामर्स में की, लेकिन उनकी रचित पुस्तक में प्रकृति प्रेम को पहले मौका मिला और “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” का विमोचन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया। आज अविनाश खेमका “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” के जरिये देश-विदेश से आने वाली पक्षियों और वहां की प्रकृति प्रेम के प्रति जागरुकता फैलाने में जुटे हैं।

पक्षियों के लिए जादुई स्वर्ग है मंगलाजोड़ी पक्षी अभयारण्य

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से केवल नब्बे मिनट की दूरी पर खुर्दा जिले में टांगी चांदपुर के पास मंगलाजोड़ी स्थित है। माना जाता है कि यह पक्षियों के लिए जादुई स्वर्ग है। यह चिलिका झील के उत्तर पूर्वी किनारे पर स्थित दलदली भूमि का 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

देश-विदेश से हर साल आते हैं पक्षी

हर साल सर्दियों में लगभग तीन लाख से अधिक प्रवासी पक्षी इसकी आर्द्रभूमि में आते हैं। हर साल ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही अक्टूबर महीने से पक्षियों का आना शुरू होता है और मार्च के महीने तक वे यहां से चले जाते हैं। कहा जाता है कि मंगलाजोड़ी की कहानी दुनिया की सबसे बड़ी संरक्षित कहानियों में से एक है। इसके संरक्षण का प्रयास 1980 के दशक के अंत में शुरू हुआ था। लगभग तीस वर्षों से अधिक समय तक कायम रहा। आज इस कहानी की कड़ी में अविनाश खेमका की कॉफी टेबल बुक “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” एक मील का पत्थर साबित हो रही है और कभी एक घातक शिकारियों की मांद से पक्षियों के सुरक्षित स्वर्ग तक की कहानी को आगोश में समेटे मंगलाजोड़ी को आशा, संघर्ष, सुधार और पुनरुत्थान की कड़ी को आगे ले जा रही है।

पर्यटन को बढ़ावा देने की कवायद

एक व्यक्ति के प्रयासों से शुरू हुई बदलाव की कहानी ने इसके संरक्षण के प्रयासों के लिए जहां प्रेरित किया, वहीं अविनाश खेमका ने अब इसकी प्राकृतिक सौन्यदर्यता को युवा भारत के समक्ष पेश कर यहां पर्यटन को बढ़ावा देने की कवायद में जुट गये हैं। इसके तहत सॉन्ग ऑफ द वाइल्ड’गैरसरकारी संस्था 2018 में अविनाश खेमका और पंचमी मनू उकील ने स्थापित किया। यह संस्था प्राकृतिक आवासों और वन्यजीवों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ इन आवासों की परिधि और इन परिधि में रहने वाले समुदायों सहायता करती है। इसके अतिरिक्त सह-अस्तित्व और संरक्षण के महत्व और प्राकृतिक आवासों के क्षरण, वैश्विक गर्मी और जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में तीव्र खतरे का सामना करने वाले कीमती वनस्पतियों और जीवों के दस्तावेज की आवश्यकता के बारे में भी भावी पीढ़ी के मन में जागरूकता पैदा करती है।

प्रकृति प्रेम का सफर

कटक के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और देश के एक प्रसिद्ध प्रकृति और वन्यजीव फोटोग्राफर अविनाश खेमका पहली बार जनवरी 2012 में अपने परिवार के साथ मंगलाजोड़ी सैर करने के लिए गये थे। इस सफर में वहां की प्रकृति मनोरम दृश्य उनके दिलों में छा गयी और वह अक्सर जाने लगे और वहां के खूबसूरत दृश्यों को कैमरे में कैद करने लगे। प्रकृति की उनकी फोटोग्राफी आज बोल उठती है। आज वह न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक आवासों और वन्यजीवों के आकर्षण के केंद्र को कैमरे में कैद कर रहे हैं। उन्होंने मंगलाजोड़ी की संरक्षण कहानी को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने और लोकप्रिय बनाने के लिए फोटोग्राफी के शक्तिशाली माध्यम का उपयोग किया। इसमें योगदान कर रहीं पंचमी मनु उकिल भुवनेश्वर स्थित एक बहु-प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं, जो एक शिक्षाविद्, उत्कृष्ट लेखक और एक उत्साही पक्षी-द्रष्टा हैं।

“द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” प्रदर्शनी रही आकर्षण का केंद्र

सांग ऑफ द वाइल्ड ने 7-13 दिसंबर 2018 को ललित कला अकादमी क्षेत्रीय केंद्र, भुवनेश्वर में अविनाश खेमका ने मंगलाजोड़ी की तस्वीरों की एक फोटो प्रदर्शनी “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” का आयोजन किया था, जिसका उद्घाटन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया था। इन छवियों को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा गया और कैमरे में उतरा गया। ये छवियां पारिस्थितिक प्रासंगिकता के साथ-साथ इस समृद्ध आर्द्रभूमि आवास की पक्षी पर्यटन क्षमता को दर्शाती हैं। प्रदर्शनी ने दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रही। विद्यालयों और अनाथालयों के हजारों बच्चों को विशेष रूप से प्रदर्शनी में भाग लेने और फोटोग्राफी के माध्यम से प्रकृति, प्राकृतिक आवास, पक्षियों के प्रवास और जंगल और वन्य जीवन के प्रलेखन के बारे में जानने का अवसर मिला।

पहली सफलता ने उत्साह में लगाया पंख

फोटो प्रदर्शनी में मिली अपार सफलता ने अविनाश और पंचमी के उत्साह में पंख लगा दिया, जिससे वे दोनों मंगलाजोड़ी पर एक कॉफी टेबल बुक पर काम करने लगे, जो आज मंगलाजोड़ी की प्रकृति प्रेम को भावी पीढ़ी को जोड़ने के लिए एक कड़ी बन गयी है। “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” नामक इस कॉफी टेबल बुक का विमोचन ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 21 अप्रैल 2022 को भुवनेश्वर में किया गया था।

तीन सौ से अधिक रातों की मेहनत का फल है “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी”

अत्याधुनिक फोटोग्राफी उपकरणों के साथ अविनाश ने पिछले दस वर्षों में विभिन्न मौसमों के माध्यम से पक्षी विविधता और परिदृश्य को अपने लेंस में कैद किया है। तीन सौ से अधिक रात की कड़ी मेहनत और दस हजार छवियों को कैद करने के बाद “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” बुक आज टी-टेबल तक पहुंच गयी है। कॉफी टेबल बुक मंगलाजोड़ी और इसके पक्षियों के लिए उनके गहरे जुनून और प्रतिबद्धता के रुप में एक वसीयतनामा के तौर पर खड़ी है और मंगलाजोड़ी की खूबसूरती को प्रदर्शित करने को लेकर उनके दृढ़ संकल्प को बयां कर रही है। यह प्रकाशन ओडिशा पर्यटन के समर्थन से संभव हुआ है।

“द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” पर्यटन को देगी नई दिशा

कॉफी टेबल बुक “द मैजिक ऑफ मंगलाजोड़ी” निश्चित रूप से इस जादुई जगह की सुंदरता और प्राकृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में मदद करेगी। मंगलाजोडी और ओडिशा को दुनिया के पर्यावरण-पर्यटन मानचित्र पर रखेगी। इसके साथ ही संरक्षण की दिशा में योगदान को प्रोत्साहित करेगी।

संरक्षण पर खर्च होगी आय

अविनाश खेमका ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा है कि इस कॉफी टेबल बुक की बिक्री से हुई सभी आय का उपयोग मंगलाजोड़ी में सॉन्ग ऑफ द वाइल्ड द्वारा संरक्षण पहल के लिए किया जाएगा। अभी भी अविनाश खेमका मंगलाजोड़ी आने वाले फोटोग्राफरों के लिए आवश्यक उपकरणों को यहां उपलब्ख कराया है। इनकी आवश्यकता नाव में पड़ती है। अविनाश की योजना इसी तरह के सभी जंगलों और जंगली आवासों का दस्तावेजीकरण करने की है, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनको संरक्षित किया जा सके और उन्हें दुनिया भर के दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया जा सके।

हर साल 150 प्रजाति के पक्षी आते हैं

मंगलाजोड़ी में हर साल देश विदेश से लगभग 150 प्रजाति के पक्षी आते हैं। इनमें से लगभग 20 प्रजाति के देशी पक्षी होते हैं, जबकि 130 प्रजाति के पक्षी प्रवासी होते हैं। चूंकि मंगलाजोड़ी पक्षियों के रहने के लिए अनुकूल स्थान है। इसलिए यहां पक्षियों का आगमन अधिक संख्या में होता है। मंगलाजोड़ी के जल का स्तर एक से दो फीट के बीच रहता है ऐसे में पक्षियों के ठहरने और उनके भोजन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

प्रमुख प्रवासी पक्षियों की प्रजाति

मंगलाजोड़ी आने वाले पक्षियों की प्रमुख प्रजातियां ब्लैक-टेल्ड गॉडविट, ह्विस्केरेड टर्न, रफ, नॉर्दर्न पिंटेल, नॉर्दर्न शोवेलेर, नॉब-बिल्ड डक, गार्गनी, गैडवॉल, सैंडपाइपर्स, सिट्रीन वैगटेल, कॉमन स्निप, ब्लूथ्रोट, पैसिफिक गोल्डन प्लोवर, ग्रे-हेडेड लैपविंग, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट, पेरेग्रीन फाल्कन शामिल हैं।

स्थानीय प्रजातियां

बिटर्न्स, स्लेटी-ब्रेस्टेड रेल, वाटरकॉक, ग्रे-हेडेड स्वाम्फेन, एशियन ओपनबिल, ग्लॉसी आइबिस, रूडी शेल्डक, डार्टर, ब्लू-टेल्ड बी ईटर, स्पॉट-बिल्ड डक, फुल्वस ह्विसलिंग डक, ग्रेटर पेंटेड स्निप, लिटिल ग्रीब, ब्राह्मणी काइट, पेंटेड स्टॉर्क।


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