Move to Jagran APP

नहीं लगा जगत के नाथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी को भोग, धरने पर बैठे सेवायत

जगन्नाथ सेना नामक संगठन ने सेवायतों के धरने का समर्थन करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 17 Apr 2018 02:34 PM (IST)Updated: Tue, 17 Apr 2018 02:34 PM (IST)
नहीं लगा जगत के नाथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी को भोग, धरने पर बैठे सेवायत
नहीं लगा जगत के नाथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी को भोग, धरने पर बैठे सेवायत

भुवनेश्वर, जेएनएन। हाईकोर्ट के निर्देश पर सोमवार से जगमोहन (भक्तों के एकत्र होकर दर्शन करने का स्थल) भक्तों के लिए खोला गया। भारी संख्या में लोगों ने दर्शन किए। सेवायतों का कहना है कि रत्न सिंहासन के लिए तैनात सेवायतों की संख्या कम है। हाईकोर्ट का यह आदेश अव्यावहारिक है कि जो सेवायत वहां के लिए अधिकृत हैं वही जा सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे व्यवस्था बिगड़ जाती है। कोर्ट इस निर्णय पर पुनर्विचार करे। जगन्नाथ सेना नामक संगठन ने सेवायतों के धरने का समर्थन करते हुए कहा कि हाईकोर्ट को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।

loksabha election banner

महाप्रभु श्री जगन्नाथ श्रीमंदिर प्रशासन एवं सेवायत के बीच चल रहा विवाद इस कदर बढ़ गया है कि जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ को ना ही भोग लग सका और ना ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ सोमवार की रात सो सके। लगभग 40 लाख रुपया का महाप्रसाद नष्ट हो गया। श्रीमंदिर प्रशासन से नुकसान हुए महाप्रसाद की भरपाई की मांग करते हुए सुआर-महासुआर सेवायतों ने श्रीमंदिर एमार मठ के सामने धरना दे रहे हैं। उधर, आज महाप्रभु की मंगल आरती के बाद से अन्य रीति नीति बंद है। वहीं श्रीमंदिर मुख्य प्रशासक प्रदीप जेना ने कहा है कि नीति का विलंब न करें। हाईकोर्ट में पुन: अपील करें। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद से कुछ सेवायतों का जो अधिकार प्रभावित हुआ है, हम सब बैठकर उस पर चर्चा कर सकते हैं। महाप्रभु को उपवास रखना ठीक नहीं है। सेवायतों की जो भी मांग है, उस पर हम चर्चा करने को तैयार हैं। 

जानकारी के मुताबिक हाईकोर्ट के निर्देश पर दो साल दो महीने बाद महाप्रभु को समीप से दर्शन केलिए सोमवार को जगमोहन (महाप्रभु के सामने वाला भाग) को पूर्वाह्न 11 बजे के बजाय अपराह्न में 4:30 बजे पुरी के जिलाधीश एवं एसपी के हस्तक्षेप के बाद खोला गया। भक्तो ने समीप से महाप्रभु का दर्शन किए। हालांकि इसके बाद भी महाप्रभु की रीति नीति में समय से सम्पन्न नहीं हुई और परिणाम स्वरूप ना ही महाप्रभु को भोग लग सका और ना ही सोमवार रात को महाप्रभु का पहुड़ (दरवाजा नहीं बंद हुआ) पड़ा। इससे महाप्रभु पूरी रात उजागर रहने को मजबूर हुए। 

प्राप्त सूचना के मुताबिक सोमवार को सुबह 5 बजकर 40 मिनट पर मंदिर का दरवाजा खुला। इसके बाद एक के बाद एक घटना को लेकर विवाद सामने आने लगा। हाईकोर्ट के निर्देश पर दो साल दो महीने बाद जगमोहन को सोमवार को खोला गया। इससे पहले गर्भगृह (महाप्रभु के विराजमान स्थल, जिसे रत्न सिंहासन भी कहा जाता है) में प्रवेश पर सेवायतों पर लगी पाबंदी को लेकर असंतोष सामने आया। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि केवल पालिया सेवायत ही गर्भगृह में प्रवेश करेंगे, उनके अलावा और कोई गर्भ गृह में प्रवेश नहीं करेंगे। इससे पहले पालिया सेवायत अपने साथ अपने सहयोगी के तौर पर अपने परिवार के सदस्य को साथ लेकर गर्भ गृह में जाते थे और महाप्रभु की रीति नीति संपादित करते थे। अब जबकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि केवल पालिया सेवायत ही गर्भगृह में प्रवेश करेंगे, ऐसे में अकेले सेवा सम्भव नहीं होने की बात को दर्शाते हुए पालिया सेवायतों ने महाप्रभु की रीति-नीति में विलंब करने की बात पता चल रही है। 

श्रीमंदिर में रीति नीति में गड़बड़ी प्रसंग को लेकर विधानसभा अचल महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के उपवास एवं रीति नीति में हुई गड़बड़ी घटना पर विधानसभा में भी सरगर्मी देखी गई। विधानसभा में शुन्यकाल प्रारंभ होते ही विरोधी दल नेता नरसिंह मिश्र ने महाप्रभु की रीति नीति में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। विरोधी दल नेता ने इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाने एवं सरकार से इस पर जवाब मांगा। शासक दल ने इसे ग्रहण किया और कहा कि श्रीमंदिर प्रशासन के साथ हम संपर्क में है, किस प्रकार से महाप्रभु की नीति ठीक से चले सरकार प्रयास कर रही है। महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की रीति नीति को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं है। यह जवाब विरोधी दल को रास नहीं और सदन में हंगामा शुरू कर दिया। विधानसभा में हो हल्ला जारी रहने से विधानसभा की कार्यवाही को अपराह्न तीन बजे तक मुलतवी घोषित कर दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.