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पढ़िए सुंदरगढ़ की मातिलता कुल्लू की कहानी, लोगों की सेवा कर पहुंची फोर्ब्स इंडिया महिला सशक्तिकरण सूची में

कोरोना योद्धा के रूप में अग्रिम पंक्ति में काम कर कोरोना से मुकाबला में अहम भूमिका निभाने वाली सुंदरगढ़ जिले की महिला मातिलता कुल्लू ने सम्मानजनक फोर्ब्स इंडिया महिला सशक्तिकरण की तालिका में देश में तीसरा स्थान बनाया है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 06:00 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 07:36 PM (IST)
पढ़िए सुंदरगढ़ की मातिलता कुल्लू की कहानी, लोगों की सेवा कर पहुंची फोर्ब्स इंडिया महिला सशक्तिकरण सूची में
बड़गांव तहसील के गड़गड़हाल की आशा कर्मी ने बढ़ाया गौरव

राउरकेला (सुंदरगढ़), जागरण संवाददाता। कोरोना योद्धा के रूप में अग्रिम पंक्ति में काम कर कोरोना से मुकाबले में अहम भूमिका निभाने वाली सुंदरगढ़ जिले की महिला मातिलता कुल्लू ने सम्मानजनक फोर्ब्स इंडिया महिला सशक्तिकरण की तालिका में देश में तीसरा स्थान बनाया है। बीरमित्रपुर की झुनमुर गांव में जन्मी मातिलता की मैट्रिक तक की पढ़ाई सेंट मेरी स्कूल राजगांगपुर में हुई है।

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विवाह के बाद पति व दो बच्चों के साथ वह बड़गांव के गड़गड़बहाल में रहती हैं। 15 साल से वह गांव में आशा कर्मी के रूप में काम कर रही हैं। 45 वर्षीय मातिलता ने स्वास्थ्य सेवा आम लोगों तक पहुंचाने एवं क्षेत्र में अंधविश्वास के साथ जाति वाद, छूआ छूत जैसी कुप्रथा को दूर करने का अहम प्रयास किया है।

वह अन्य सेवा क्षेत्र में भी महिलाओं के लिए काम कर अपनी पहचान बनायी है। मातिलता की दिनचर्या सुबह पांच बजे शुरू होती है। सुबह परिवार के चार सदस्यों के लिए भोजन तैयार करने के साथ घर के गाय बैलों को चारा खिलाना होता है। इसके बाद असली काम के लिए साइकिल लेकर निकल पड़ती है।

प्रति दिन घर-घर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच करने, लोगों को झाड़फूंक व टोना टोटका पर विश्वास न कर चिकित्सा प्रणाली को अपनाने के लिए जागरूक करना होता है। गांव के 964 लोगों की देखभाल करना उनकी जिम्मेदारी है। घर घर जाकर उनकी देखभाल करने, दवा बांटना, प्रसव का समय आने पर गर्भवती माताओं को अस्पताल ले जाने, मां व बच्चों की नियमित देखभाल करने आदि शामिल हैं।

मातिलता के अन्य नियमित कार्य में एंटीनेंटल व पोस्टनेंटल चेकअप कराना, प्रत्यारोपण, सेनिटाइजेशन, स्वच्छता को प्रोत्साहन देन, पोलियो एवं अन्य टीकाकरण एवं विभिन्न प्रकार का सर्वेक्षण नियमित रूप से करना है। केवल इतना ही जाति प्रथा व छूआछूत को दूर करने के लिए भी वह प्रयास कर रही हैं।

आशाकर्मी इस नौकरी में उसे महीने में केवल 4500 रुपये का भत्ता मिलता है। फोर्ब्स इंडिया के लिए उनका नवंबर महीने में साक्षात्कार हुआ था एवं उन्हाेंने अपने कार्यक्रमों से संबंधित सारी जानकारी दी है। 24 नवंबर 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट में महिला सशक्तिकरण सूची में तीसरा स्थान मिला है। अब तक उन्हें केवल इसकी सूचना दी गई है। पुरस्कार समारोह या प्रमाणपत्र देने के संबंध में जानकारी नही है। आदिवासी बहुल पिछड़े क्षेत्र की सामान्य आशा कर्मी होने के बाद भी इस योग्य समझे जाने व यह सम्मान मिलने पर वह काफी खुश हैं।


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