आदिवासियों के प्रति गंभीर नहीं प्रदेश सरकार : प्रधान
राज्य सरकार की केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कड़ी समालोचना करते हुए कहा कि आदिवासियों की समस्या के प्रति सरकार का उदासीन रवैया निंदनीय है।
भुवनेश्वर, जेएनएन : अनुसूचित जाति एवं जनजाति की समस्या को लेकर सोशल मीडिया पर राज्य सरकार की केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कड़ी समालोचना करते हुए कहा कि ओडिशा में करीब 23 फीसद अनुसूचित जनजाति एवं 17 फीसद अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं। इनके विकास के लिए काम करने वाले अनुसूचित जाति व जनजाति विभाग के पास पूर्णकालिक सचिव तक नहीं है।
पिछले कुछ महीनों से अतिरिक्त सचिव के हाथ में 40 फीसद आबादी का भाग्य सौंप दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आदिवासियों की समस्या के प्रति सरकार का उदासीन रवैया निंदनीय है। उन्होंने कहा कि मलकानगिरी जिला के शिखपाली पंचायत में एसएसडी सेवाश्रम हाई स्कूल में दसवीं कक्षा की छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। स्कूल के प्रधान शिक्षक पर छात्रा के साथ बार-बार दुष्कर्म करने का आरोप लग रहा है, जिससे तंग आकर छात्रा ने आत्महत्या कर ली। सरकार की ओर से अनुसूचित जनजाति के लिए संचालित इस आवासीय विद्यालय में इस तरह की अमानवीय घटना झकझोरने वाली है।
प्रधान ने कहा कि राज्य सरकार 40 फीसद लोगों के विकास पर कोई ध्यान नहीं दे रही। इसका पता इसी से चलता है कि आदिवासी सलाहकार परिषद की बैठक साल में दो बार होनी चाहिए, मगर मई 2015 के बाद से तीन साल हो गए तब जून 2018 में हुई। उन्होंने कहा कि देश में कुल जनजाति की जनसंख्या का 9.6 फीसद आबादी ओडिशा में रहती है। राज्य के 119 ब्लॉक में जनजाति की संख्या 50 फीसद से अधिक है। राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का संविधान के पांचवें अनुच्छेद में राज्य के 44 फीसद इलाका अनुसूचित इलाका है। इस इलाके में गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवागमन व महिला विकास सबसे पिछड़ा है। राज्य में अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिलाओं के बीच पौष्टिकहीनता अन्य वर्ग की महिलाओं की तुलना में काफी अधिक है।