प्राथमिक शिक्षा में सुधार के बिना बच्चों का बौद्धिक विकस संभव नहीं
शिक्षा के गुणात्मक मान सुधारने के साथ प्राथमिक शिक्षा पर अधिक बल देने की वकालत करते हुए शिक्षाविदों ने सरकार एवं आम लोगों से इस पर गंभीरता दिखाने का आग्रह किया हे।
संसू, भुवनेश्वर : शिक्षा के गुणात्मक मान सुधारने के साथ प्राथमिक शिक्षा पर अधिक बल देने की वकालत करते हुए शिक्षाविदों ने सरकार एवं आम लोगों से इस पर गंभीरता दिखाने का आग्रह किया है। सेंटर फॉर पॉलिसी, गवर्नेस एंड एडवोकेसी (सीपीजीए) की ओर से आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों का मत था कि पाठ्यक्रमों, परीक्षा व्यवस्था में बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है। सीपीजीए का मानना है कि नीति आयोग द्वारा तैयार की जा रही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। साथ ही शिक्षकों का प्रशिक्षण, विद्यालय के परिचालन पर भी विशेष ध्यान देने पर जोर देते हुए शिक्षाविदों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। खासकर प्राथमिक शिक्षा पर फोकस करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जब तक हम आंचलिक भाषा में प्राथमिक शिक्षा का स्तर नहीं सुधार लेते तब तक बच्चों के बौद्धिक विकास को समुचित गति नहीं मिल पाएगी। इसी तरह शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के भेदभाव पर चिता जताते हुए शिक्षाविदों का मत था कि इसे समाप्त करना होगा। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का मान सुधारने पर भी बल देने की बात कही गई। दिव्यांग बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देने का सुझाव शिक्षाविदों ने दिया।