बिजली दर बढ़ोत्तरी का सपा ने किया विरोध
कोरोना महामारी के कारण अपनी आजीविका खो चुके लोगों पर अब बिजली दर बढ़ोत्तरी की दोहरी मार पड़ी है।
जासं, भुवनेश्वर : कोरोना महामारी के कारण अपनी आजीविका खो चुके लोगों पर अब बिजली दर बढ़ोत्तरी की दोहरी मार पड़ी है। ओडिशा बिजली नियामक आयोग (ओइआरसी) ने 2020-21 साल के लिए 4 फीसद बिजली शुल्क बढ़ा दिया है, जोकि एक अक्टूबर से उपभोक्ताओं को देना होगा। ओइआरसी के इस निर्णय का राज्य के बिजली मंत्री ने समर्थन किया है। कहा कि सात साल के बाद प्रदेश में 4 फीसद बिजली दर की बढ़ोत्तरी की गई है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी ने ओइआरसी के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया है।
समाजवादी पार्टी के राज्य अध्यक्ष रवि बेहरा ने कहा है कि वर्ष 1990 में बिजली आधारभूमि में सुधार लाने वाला ओडिशा देश का पहला राज्य था। विश्व बैंक से कर्ज लाकर बिजली आधारभूमि का विकास करने के उद्देश्य से 1994-95 में राज्य में बिजली सेवा में सुधार प्रक्रिया शुरू की गई। इसका उद्देश्य था सस्ती एवं आसानी से लोगों को बिजली सेवा मुहैया करना। उस समय 300 करोड़ रुपये घाटे में रहने वाला ओड़िशा राज्य बिजली बोर्ड को तोड़कर बिजली उत्पादन, परिवहन एवं आवंटन का विकेंद्रीकरण किया गया। हालांकि दुख की बात है कि बिजली व्यवस्था में सुधार का जो निर्णय उस समय लिया गया था, वह आज कागजों तक सीमित रह गया है। बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार बिजली की कीमत बढ़ा रही है। सरकार को यह भी ध्यान में नहीं आया कि पिछले 6 महीनों से कोरोना के कारण लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है, सब्जी एवं अन्य सामग्री की कीमत आसमान छू रही है। आलू एवं प्याज की कीमत लगभग 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। ऐसे में बिजली शुल्क बढ़ाना लोगों के घाव पर नमक छिड़कने के समान है। रवि बेहरा ने कहा है कि सरकार बिजली कंपनी के इस निर्णय पर गंभीरता से विचार करे और लोगों के हित को दिखते हुए फिलहाल बिजली की कीमत ना बढ़ने दे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आगामी दिनों मे समाजवादी पार्टी इसके खिलाफ सड़क पर उतरेगी और जो भी परिस्थिति होगी उसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।