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ओडिशा में सड़क दुर्घटना में 21 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी: सर्वोच्च न्यायालय कमेटी ने जतायी नाराजगी

ओडिशा में 2021 में कोरेाना काल के दौरान भी सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु दर में इजाफा हुआ है। देवगड़ गंजाम पुरी एवं सुवर्णपुर आदि 4 जिले को छोड़ दें तो फिर राज्य के अन्य सभी जिलों में दुर्घटना की दर में बढ़ोत्तरी हुई है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 12:46 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 12:49 PM (IST)
ओडिशा में सड़क दुर्घटना में 21 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी: सर्वोच्च न्यायालय कमेटी ने जतायी नाराजगी
ओडिशा में 2021 कोरोना काल में भी दुर्घटना से होने वाली मृत्यु में इजाफा हुआ है

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। वर्ष 2020 तक यानी पांच साल में सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्यु दर को 50 कम करने के उद्देश्य से सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था। हालांकि संग्रहित तथ्य के मुताबिक इस अवधि में दुर्घटना की दर कम होने के बदले बढ़ी है। 2014 में दुर्घटना से 3931 लोगों की मृत्यु हुई थी जबकि 2019 में यह संख्या बढ़कर 4738 तक पहुंच गई है। इस समय के दौरान दुर्घटना से होने वाली मृत्यु में 21 प्रतिशत का इजाफा होने से कमेटी ने नाराजगी जाहिर की है।

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यहां तक कि 2021 कोरोना काल में भी दुर्घटना से होने वाली मृत्यु में इजाफा ही हुआ है। 2021 जनवरी से अप्रैल के बीच दुर्घटना से होने वाली मृत्यु दर 2020 के इसी समयावधि की तुलना में करीबन 27.60 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। देवगड़, गंजाम, पुरी एवं सुवर्णपुर आदि 4 जिले को छोड़ दें तो फिर राज्य के अन्य सभी जिलों में दुर्घटना की दर में बढ़ोत्तरी हुई है। किस कारण से दुर्घटना बढ़ी है, उसका कारण जानने के लिए तथा रोक लगाने के लिए व्यापर एवं परिवहन विभाग के मुख्य सचिव मधुसूदन पाढ़ी ने सभी जिलाधीश, एसपी, डीसीपी एवं ट्रैफिक डीसीपी को पत्र लिखा है।

दुर्घटना में तेजी से इजाफा हो रहा है, ऐसे में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पिछले 8 मार्च को आयोजित एक समीक्षा बैठक में जिला स्तर पर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए निर्देश जारी किया गया है। नियमित रूप से जिला सड़क सुरक्षा कमेटी की बैठक बुलाकर इस संदर्भ में जांच करने के साथ ही बैठक में विवरण परिवहन आयुक्त को भेजने के लिए कहा गया है। हेलमेट नियम को सख्त करने को कहा गया है। दुर्घटना में जान गंवाने वाले लोगों में करीबन 40 प्रतिशत दो पहिया वाहन सवार होने की बात पता चली है।

 राज्य में इंटरसेप्टर वाहन, विद अनालाइजर जैसे उपकरण का व्यापक प्रयोग करने के लिए ट्राफिक पुलिस को सलाह दी गई है। दुर्घटना स्थल को तकनीकी टीम जाकर जांच कर जिला कमेटी बैठक में रिपोर्ट देने को कहा गया है। जिला स्तर पर सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के बीच समन्वय बनाने के लिए एक जूनियर एमभीआई सहकारी एमभीआई को नोडल अधिकारी के तौर पर घोषित किया गया है। दुर्घटना दर बढ़ने के पीछे क्या कारण है, उस संदर्भ में 15 दिन के अन्दर रिपोर्ट देने के लिए सभी जिलाधीशों से अनुरोध किया गया है। इसके साथ ही दुर्घटना को कम करने के लिए वे क्या कदम उठा रहे हैं, उस संदर्भ में भी जानकारी देने हेतु सलाह दी गई है।


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