बीजू बाबू पर पूरे देश को गर्व: राष्ट्रपति
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय देश में दो आनंद भवन थे। एक इलाहा
जागरण टीम, भुवनेश्वर/ कटक
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय देश में दो आनंद भवन थे। एक इलाहाबाद में और दूसरा कटक में था। दोनों ही आनंद भवन में देश की आजादी के लिए रणनीति तैयार हुई थी। इस संदर्भ में जो भी व्यक्ति अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहेगा उसके लिए आनंद भवन संग्रहालय तथा ज्ञान केंद्र एक बेहतर स्थल साबित होगा। यह बात राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद ने शनिवार को कटक के तुलसीपुर स्थित आनंद भवन संग्रहालय एवं ज्ञान केंद्र राष्ट्र को समर्पित करने के बाद कही।
इससे पूर्व राष्ट्रपति ओडिशा के दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को सुबह 10 भुवनेश्वर स्थित बीजू पटनायक एयरपोर्ट पहुंचे। जहां राज्यपाल डा.एससी जमीर एवं मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तथा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान समेत अन्य लोगों ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण भी किया। इसके बाद राष्ट्रपति का काफिला सीधे कटक के लिए रवाना हो गया। कटक पहुंचने के पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले अपनी धर्मपत्नी सविता कोविंद के साथ नेताजी संग्रहालय का भ्रमण किया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वह आनंद भवन पहुंचे। जहां उन्होंने संग्रहालय का उद्घाटन किया।
इसके बाद राष्ट्रपति का काफिला जवाहरलाल इंडोर स्टेडियम पहुंचा जहां पर आयोजित कार्यक्रम को उन्होंने संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरूआत ओड़िआ में ओडिशा की मिट्टी एवं यहां के लोगों का अभिवादन करने के साथ किया। उन्होंने कहा कि बीजू बाबू ने अपने लिए कभी कुछ नहीं किया है। उनका पूरा जीवन क¨लग के लिए समर्पित था। उन्होंने जो भी कार्य किया सब क¨लग के नाम से अर्पित था। बीजू बाबू की सोच को हम सबको अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कटक की मिट्टी में दो महान व्यक्ति पैदा हुए थे एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस और दूसरा बीजू पटनायक। बीजू बाबू ने एक नेता के तौर पर ओडिशा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी। उन पर सिर्फ ओडिशा ही नहीं बल्कि पूरे देश को गर्व है। केंद्रीय सरकार में जब वह स्टील मंत्री थे तब किसी ने कहा था कि स्टील मंत्री के बदले उन्हें स्टील मैन कहा जाना चाहिए। वह सचमुच में स्टील मैन थे। किसी जमाने में देश में जब हवाई जहाज की बात होती थी तब एक टाटा की होती थी और दूसरी क¨लगा एयर लाइंस के तौर पर बीजू बाबू के हवाई जहाज की चर्चा होती थी। उसी हवाई जहाज से उन्होंने अपनी दिलेरी के दम पर इंडोनेशिया से वहां के नेताओं को खतरे से बाहर निकालकर दिल्ली पहुंचाया था। वह ओडिशा के विकास के लिए वह हमेशा सोचते थे। महिलाओं के विकास पर ज्यादा ध्यान देते थे। इस मौके पर राष्ट्रपति ने ओडिआ भाषा को पहचान देने वाले मधुसूदन दास को भी याद किया।