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ओडिशा के 6 शहरों में प्रदूषण की स्थिति संगीन: एनजीटी ने जतायी नाराजगी

ओडिशा के 6 प्रमुख शहरों में प्रदूषण की स्थिति संगीन होती जा रही है, शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नाराजगी जतायी है।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 03:06 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 03:06 PM (IST)
ओडिशा के 6 शहरों में प्रदूषण की स्थिति संगीन: एनजीटी ने जतायी नाराजगी

भुवनेश्वर, जेएनएन। देश की राजधानी नई दिल्ली की ही तरह ओडिशा के 6 प्रमुख शहरों भुवनेश्वर, कटक, बालेश्वर, अनुगुल, राउरकेला एवं तालचेर में प्रदूषण की स्थिति संगीन होती जा रही है। निर्माण कार्य के साथ वाहनों की वृद्धि एवं उद्योगों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण को दूषित कर रहा है। धूल मिश्रित धुआं शहरांचल को भयानक तरीके से खतरे की तरफ ले जा रहा है। सरकार के साथ लोगों के जागरूक न होने से प्रदूषण आए दिन बढ़ता जा रहा है। हाल यह रहा तो इन 6 शहरों में पर्यावरण कुछ ही सालों में अत्यंत खराब हो जाने की बात पर्यावरणविद कह रहे हैं। इन शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नाराजगी जताने के साथ इस दिशा में सभी जरूरी कदम उठाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार को निर्देश दिया है। धूल से होने वाले प्रदूषण को यदि रोका नहीं गया तो इन शहरों में शुद्ध वायु का मिलना सपना हो जाएगा।

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक उक्त शहरों में धूल का परिमाण पिछले 10 साल में 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है। वायुमंडल में प्रति क्यूबिक मीटर में 60 माइक्रोग्राम धूल के कण हैं तो फिर स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं होता है। भुवनेश्वर में 2008 में प्रदूषण की मात्रा 25.9 प्रतिशत थी जो कि 2017 में बढ़कर 45 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उसी तरह से अनुगुल में 2008 में प्रदूषण की मात्रा 28.95 प्रतिशत थी जो कि 2017 में बढ़कर 34.16 प्रतिशत हो गई है। तालचेर में 9.65 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 45 प्रतिशत, बालेश्वर में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 6.25 प्रतिशत हुई है। कटक एवं राउरकेला में कमी हुई है, मगर अभी भी चिंताजनक स्थिति यहां भी है। जानकारी के मुताबिक 2008 में कटक में प्रदूषण की मात्रा 28 प्रतिशत थी जबकि 2017 में 25.95 प्रतिशत तथा राउरकेला में 54 प्रतिशत से घटकर 45 प्रतिशत तक पहुंच गई है। 

केन्द्र पर्यावरण तथा जंगल मंत्रालय की तरफ से स्वास्थ्य के लिए जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 0 से 50 के बीच रहने से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक नहीं है। हालांकि यह परिमाण यदि 51 से 100 तक पहुंच जाता है तो फिर श्वास लेने में समस्या होगी। श्वास के रोगी एवं हृदय रोगी, शिशु, गर्भवती महिला एवं बुजुर्ग को समस्या का सामना करना पड़ेगा। यह इंडेक्स 401 से 500 होने पर स्वस्थ व्यक्ति भी रोगी हो जाएगा। उक्त शहरों में एक्यूआई 200 को पार कर गया है।

एनजीटी के निर्देश को राज्य सरकार ने गम्भीरता से लिया है। प्रदूषण को किस प्रकार से नियंत्रित किया जाए उसे लेकर जंगल ए​वं पर्यावरण विभाग विस्तार से ऐक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे केन्द्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीवी) के पास भेज दिया गया है। सीपीसीवी का अनुमोदन मिलने के बाद उसे उक्त 6 शहरों में कार्यकारी किया जाएगा। प्रत्येक शहर के वायु प्रदूषण स्तर को मैनुअल के बदले आनलाइन मनीटरिंग किया जाएगा। किस शहर में प्रदूषण कितना है वह हर समय पता चलेगा।

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायू प्रदूषण को नियमित जांच कर सरकार को रिपोर्ट देने की बात राज्य पर्यावरण निदेशक के.मुरुगेशन ने कही है। शहरी क्षेत्र में धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ऐक्शन प्लान में कई तरह की व्यवस्था है। केन्द्र सरकार का अनुमोदन मिलने के बाद उसे बहुत जल्द कार्यकारी करने की बात श्री मुरुगेशन ने कही है। 


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