जिसने दी दुनिया में पहचान, आज वही बनी अभिशाप; दूषित पर्यावरण से लोग परेशान
ओडिशा का बड़बिल इलाका अपनी खदान संपदा के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है लेकिन आज यही संपदा इसके लिए अभिशाप बन गई है। धूल एवं धुएं के कारण यहां का वातावरण पूरी तरह से दूषित हो चुका है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के केन्दुझर जिले के चंपुआ विधानसभा क्षेत्र का बड़बिल इलाका अपनी खदान संपदा के लिए न सिर्फ प्रदेश या देश बल्कि पूरी दुनिया में परिचित है। ओडिशा सरकार को भी बड़ा राजस्व यहीं से मिलता है, मगर आज यही खदान संपदा यहां के लोगों के लिए मानो अभिशाप बन गई है। खदान द्रव्य परिवहन के कारण धुआं एवं धूल के कारण इलाके का पूरा वातावरण दूषित होने के साथ ही आवागमन व्यवस्था भी बदहाल है।
डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारी की कमी
केन्दुझर जिले के चम्पुआ उपखंड में डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मचारी की कमी के साथ ही कमजोर स्वास्थ्य आधार भूमि ने स्वास्थ्य व्यवस्था को लंगड़ा बना दी है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 1597 लोगों पर एक डाक्टर हैं, जबकि ओडिशा में 2749 लोगों के लिए 2017 के अनुसार एक डाक्टर हैं। वहीं चम्पुआ उपखंड में 3000 लोगों पर एक डाक्टर हैं। मौलिक सुविधा की कमी के कारण सामान्य स्वास्थ्य सेवा भी लोगों को नहीं मिल पाने की बात एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर शर्मा ने कही है।
भाजपा नेता ने कहा कि चंपुआ उपखंड के अधीन दो सामूहिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं पीएचसी में बड़ी समस्या देखी जा रही है। इस इलाके में नवजात शिशु मृत्यु, प्रसूति मृत्यु जैसी घटना यहां बड़ी समस्या बन गई है। चंपुआ उपखंड अस्पताल में 21 डाक्टर पद है जबकि 10 लोग ही काम कर रहे हैं। उसी तरह से भंडा सीएचसी में 5 डाक्टर में से 2 डाक्टर, बड़बिल में 8 डाक्टरों में से 4 डाक्टर काम कर रहे हैं, अन्य डाक्टरों के पद खाली हैं।
खदान से पूरी दुनिया में बड़बिल को मिली पहचान
गुआली, कालीमाटी कालिकाप्रसाद, चिमिला, ज्योतिपुर, भुंईपुर पीएचसी में एक-एक अनुमोदित डाक्टर पद हैं और सभी पद रिक्त पड़े हैं। कालीमाटी में एक आयुष डाक्टर को नियुक्ति मिली है। बड़बिल में 60 बेड की जरूरत है मगर यहां 24 बेड ही हैं। उसी तरह से 12 नर्स पद हैं मगर 7 नर्स से काम चलाया जा रहा है। 3 फार्मासिस्ट पद से 2 पद खाली हैं। इन सभी पदों को भरने के साथ ही स्वास्थ्य सेवा में प्रसव के लिए आपरेशन की व्यवस्था, सामान्य जरूरत की स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जिस खदान से पूरी दुनिया में बड़बिल क्षेत्र को पहचान मिली आज वही खदान यहां के लोगों के लिए मानों अभिशाप बन गई है।