Odisha News : 'पति की मृत्यु के 13 साल बाद बुजुर्ग महिला को मिला न्याय' एक साथ मिली 26 साल की पेंशन
अधिकारियों ने सौंपा 16 लाख रुपये का चेकहाईकोर्ट ने न्याय में हुई देरी के लिए जताया खेद पेंशन कोई एहसान नहीं है सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि पेंशन अहसान नहीं है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। पति की मौत के 13 साल बाद एक बुजुर्ग महिला को न्याय मिला है। बुजुर्ग महिला द्वारा विभागीय अधिकारियों के खिलाफ 11 साल पहले दायर मामले में हाईकोर्ट से फैसला आने के बाद ललिता को उनकी पूरी बकाया पेंशन एक ही साथ दी गई है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद 89 साल की ललिता मोहंती को एक ही साथ 26 साल की पेंशन 16 लाख 1 हजार 846 रुपया मिली है।
जानकारी के मुताबिक राज्य परिवहन विभाग के उच्च अधिकारी एवं ओएसआरटीसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बुजुर्ग महिला के घर जाकर पेंशन के बाबद 16 लाख 1 हजार 846 रुपया प्रदान किया है। बालेश्रर अड़र बाजार के बालीबिल गांव की रहने वाली ललिता मोहंती के पति भीमसेन महांती ओएसआरटीसी में ट्रैफिक इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे। पति की मौत के बाद उनकी पत्नी ललिता को पेंशन मिलनी चाहिए थी। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने पेंशन का भुगतान करने में उपेक्षा की तो 2009 में ललिता उच्च न्यायालय चली गईं।
हाई कोर्ट ने 13 साल बाद मामले की अंतिम सुनवाई कर ललिता को पेंशन देने का निर्देश दिया। पति की मौत के 13 साल बाद एक बुजुर्ग महिला को न्याय मिला है। पारिवारिक पेंशन पाने के लिए वर्षों की लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार ललित मंहांती को न्याय मिला। ऐसे में 12 सितंबर को ओएसआरटीसी के सीएमडी ने व्यक्तिगत रूप से ललिता से मिलकर उन्हें 16 लाख 1 हजार 846 रुपये का चेक सौंपा।
हालांकि कोर्ट के आदेश को लागू करने में हुई देरी को लेकर हाईकोर्ट ने बुजुर्ग महिला से खेद जताया है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि 'पेंशन अहसान नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि वह हर संभव प्रयास करेगा ताकि राज्य में कोई भी लाभार्थी पेंशन पाने से वंचित न रहे। हाईकोर्ट ने प्रोविजनल पेंशन के लिए पॉलिसी तय करने का भी आदेश दिया है।