लिंग परिवर्तन करा कर पुरुष से महिला बनी यह अधिकारी करेगी समलैंगिक विवाह
ऋतुपर्णा ने कहा है कि काफी लंबे समय से उनका अपने पुरुष दोस्त के साथ लिव इन रिलेशनशिप है।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। पारादीप वाणिज्य कर (शुल्क) अधिकारी ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान ओडिशा की पहली एवं एकमात्र ओडिशा फाइनेंस सर्विस (ओएफएस) पाने वाली किन्नर हैं। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिक संपर्क अपराध नहीं होने की घोषणा करने के बाद से ही ऋतुपर्णा काफी खुश हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि वह बहुत जल्द समलैंगिक विवाह करने जा रही हैं।
लिव इन रिलेशनशिप में है ऋतुपर्णा
ऋतुपर्णा ने कहा है कि काफी लंबे समय से उनका अपने पुरुष दोस्त के साथ लिव इन रिलेशनशिप है। सुप्रीम कोर्ट की इस ऐतिहासिक राय के बाद मेरी अंतरआत्मा जो पाना चाहती थी, वह अब पूरा होगा। हालांकि उन्होंने शादी से पहले अपने पुरुष दोस्त का नाम बताने से मना कर दिया है। ऋतुपर्णा का कहना है कि शादी के बाद वह कन्या गोद लेंगी। फिलहाल वह पारादीप में व्यापार कर अधिकारी के पद पर तैनात हैं।
तृतीय लिंग की मान्यता
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किन्नर को तृतीय लिंग की मान्यता मिलने के बाद ऐश्वर्या चर्चा में आई थीं। इससे पहले वे रतिकांत प्रधान नाम से जानी जाती थी। 15 अक्टूबर वर्ष 2015 को उन्होंने लिंग परिवर्तन करा कर ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान हो गई। तब से उन्होंने अपना पहनावा बदल दिया और श्रीमान से श्रीमती बन गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 के संबंध में दिए गए ऐतिहासिक राय का स्वागत किया है। वह खुश है क्योंकि इससे उन्हें अपने अपने पुरुष दोस्त के साथ शादी करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। ऐश्वर्या देश की पहली ऐसी आफिसर हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अपना लिंग परिवर्तन कराया था। उनके इस कदम से पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया था। वह पिछले चार साल से परिवार से अलग रहती हैं। हालांकि उन्होंने कहा है कि वह अपनी मां, भाई, बहन के साथ संपर्क में हैं।
कंधमाल के कनकगोरी गांव की है मूल निवासी
ऐश्वर्या कंधमाल जिला के जी उदयगिरी ब्लाक अंतर्गत कनकगोरी गांव के वकील रूपवती प्रधान की चार संतानों में एक ऐश्वर्या (रतिकांत) पढ़ाई करने से लेकर नौकरी करने रतिकांत नाम से जाने जाते थे। उनका कहना है कि समाज किन्नरों को अलग दृष्टि से देखता है। यदि समाज एवं सरकार उन्हें भी अवसर दे तो वे भी मुख्य धारा में शामिल हो सकते हैं। पति-पत्नी के संपर्क को सार्वजनिक करने का अधिकार संविधान ने किसी को नहीं है। ऐसे में उनका वैवाहिक जीवन भी पूरी तरह से व्यक्तिगत होगा।