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ओड़िशा में फिर सामने आयी जननी की पीड़ा, 5 किमी पैदल चलने के बाद अस्पताल पहुंची गर्भवती महिला

गांव तक सड़क ना होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पायी और फिर गर्भवती महिला को पहले पैदल और फिर आटो से अस्पताल पहुंचाया गया।ओड़िशा में महिलाओं की आधारभूमि सुविधाओं की कमी के कारण आए दिन इलाकों से दिल को दहला देने वाली घटनाएं सामने आती रही हैं।

By JagranEdited By: PRITI JHAPublished: Sun, 25 Sep 2022 02:57 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 02:57 PM (IST)
ओड़िशा में फिर सामने आयी जननी की पीड़ा, 5 किमी पैदल चलने के बाद अस्पताल पहुंची गर्भवती महिला
ओड़िशा में फिर सामने आयी जननी की पीड़ा: 5 किमी. पैदल चलने के बाद अस्पताल पहुंती गर्भवती महिला

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता । ओड़िशा में महिलाओं की आधारभूमि सुविधाओं की कमी के कारण आए दिन प्रदेश के दूर दराज इलाकों से दिल को दहला देने वाली घटनाएं सामने आती रही हैं। कभी गर्भवती महिलाओं को खाट पर लादकर एम्बुंलेंस तक पहुंचाया जा रहा है तो कभी एम्बुलेंस ना मिलने से मरीजों को अस्पताल तक खाट पर लादकर लाया जा रहा है। प्रदेश में इस तरह की घटना तब हो रही जब नवीन पटनायक सरकार लगातार विकास को सर्वोपरि बताते हुए खुद को लगातार विकासमुखी सरकार बता रही है।

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जानकारी के मुताबिक ऐसी ही एक घटना पुन: कंधमाल जिले के फुलवाड़ी फिरिंगिया प्रखंड के मातापदर गांव में सामने आयी है। गांव तक सड़क ना होने के कारण गांव में एंबुलेंस नहीं पहुंच पायी और फिर गर्भवती महिला को पहले पैदल और फिर आटो से अस्पताल पहुंचाया गया।

खबर के मुताबिक गांव के चंद्रिका कहर को प्रसव पीड़ा होने पर एक आशा कर्मी के जरिए एंबुलेंस को फोन किया गया। लेकिन भृंगियोड़ी मुख्य मार्ग से मातापदर तक 6 किमी तक सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी। यहां तक उक्त जगह पर ऑटो भी नहीं पहुंच पाया।

मालूम हो कि अंत में, परिवार ने चंद्रिका को 5 किमी तक पैदल ही ले गए। इसके बाद में आटो के जरिए भृंगियोड़ी गांव ले गए। वहां उसे मोबाइल डिलीवरी वैन में सवार कर फिरिंगिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। मेडिकल में चंद्रिका ने एक बेटे को जन्म दिया। हालांकि मां और नवजात बच्चे की तबीयत खराब होने के कारण उन्हें फुलबाणी जिला मुख्य अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।

यहां उल्लेखनीय है कि बारंबार इस तरह की घटना सामने आ रही है फिर भी सरकार एवं प्रशासन के कानों के नीचे जूं तक नहीं रेंग रही है। नवीन पटनायक सरकार विकास के ढिंढोंरे पीटती है मगर दुर-दराज के जिलों में स्वास्थ्य एवं परिवहन सेवा की स्थिति कैसी है वह इस घटना से पता चल रही है। आखिर कब तक दूर दराज के गावों में स्वास्थ्य सेवा एवं जरूरी आधारभूमि सेवा स्वभाविक होगी उस पर प्रश्नचिन्ह लगे हुए हैं।


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