बाघ महावीर मरा नहीं, शिकारियों ने मारा था
ओडिशा के अनुगुल जिला अंतर्गत सतकोशिया टाइगर रिजर्व में बाघ 'महावीर' की मौत स्वाभाविक नहीं थी बल्कि शिकारियों ने उसे मारा था।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : ओडिशा के अनुगुल जिला अंतर्गत सतकोशिया टाइगर रिजर्व में बाघ 'महावीर' की मौत स्वभाविक नहीं थी बल्कि शिकारियों ने उसे मारा था। यह चौंकाने वाला तथ्य नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की रिपोर्ट में सामने आया है। इस रिपोर्ट ने राज्य सरकार के उस दावे की धज्जियां उड़ा दी हैं जिसमें कहा गया था कि महावीर की मौत स्वाभाविक थी उसके विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। बाघ महावीर के गर्दन में घाव था। एनटीसीए ने महावीर की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कहा है कि मौत का कारण छिपाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यह रिपोर्ट मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी), मुख्य सचिव, वन विभाग को 11 दिसंबर को सौंपी गई थी, जो सामने आई है। एनटीसीए ने प्रथम दृष्टया तस्वीरों, कागजात, जख्मों की रिपोर्ट व स्वाभाविक मौत की रिपोर्ट देने वाली वन विभाग की टीम से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला। बाघ की मौत में तथ्य छिपाने की पूरी कोशिश भी गई। एनटीसीए ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी असंतोष जाहिर किया। कहा कि बाघ महावीर का शिकार किया गया।
उल्लेखनीय है कि युवा रॉयल बंगाल टाइगर महावीर की बीते दिनों सातकोशिया जंगल में मृत्यु हो गई थी। मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से इस युवा बाघ को लाया गया था, जो सातकोशिया के वन कोर में रहस्यमय ढंग से मृत पाया गया था। ढाई साल के युवा महावीर बाघ को एनटीसीए की ओर से वंश वृद्धि की उम्मीद में सुंदरी बाघिन के पास जंगल में छोड़ा गया था। हालांकि सुंदरी व महावीर के मिलन से पहले ही बाघिन गांवों की तरफ निकल आई और लोगों को अपना आहार बनाने लगी। ऐसे में उसे बंदी बनाकर रखा गया है।
केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान की सिफारिश पर कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघ महावीर और बांधवगढ़ नेशनल पार्क से बाघिन सुंदरी को जून 2018 में ओडिशा के सतकोशिया टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया था। सतकोशिया टाइगर रिजर्व आम आदमी की आवाजाही बढ़ने से बाघविहीन हो चुका है। पन्ना टाइगर रिजर्व की तरह सतकोशिया में बाघों के पुनस्र्थापन के लिए बाघ महावीर और बाघिन सुंदरी को छोड़ा गया था।