Odisha: नक्सलियों की धमकी के बाद गांव छोड़ने को मजबूर परिवार
Naxalite Threat. ओडिशा में नक्सली धमकी मिलने के बाद गंगा माड़ी का परिवार अपना गांव छोड़ने को मजबूर हो गया है।
भुवनेश्वर, जासं। Naxalite Threat. पुलिस मुखबिर के संदेह में पहले जमकर पिटाई, फिर गांव छोड़ने की धमकी, बात न मानने पर मृत्युदंड तय जैसी धमकी मिलने के बाद गंगा माड़ी का परिवार अपना गांव छोड़ने को मजबूर हो गया है।
यह घटना मलकानगिरी जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र तुलसी पहाड़ कटुआ पदर गांव की है। जहां उक्त परिवार को पुलिस का मुखबिर होने के संदेह में नक्सलियों ने धमकी दी है। खबर लिखे जाने तक पुलिस प्रशासन की टीम उक्त गांव तक नहीं पहुंच पायी थी। इसके कारण इस संबंध में कोई तथ्य सामने नहीं आ पाया है।
समझा जाता है कि उक्त परिवार अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित था और इसी वजह से उसने अपना गांव छोड़ देने का मन बना लिया था, क्योंकि नक्सलियों ने उक्त परिवार को यह भी धमकी दी है कि यदि पुलिस को इस संदर्भ में कोई जानकारी दी तो फिर अंजाम इससे भी बुरा होगा। ऐसे में नक्सलियों के भय से उक्त परिवार ने अपना घर बार छोड़ दिया है और धाकड़ राशि गांव में अपने एक रिश्तेदार के यहां शरण ली है।
अपना घर बार छोड़ने के बाद उक्त परिवार का आगे होगा। यह सभी शुभ चिंतकों में चिंता का विषय बना हुआ है। इस संदर्भ में स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने का प्रयास किया गया पर नहीं हो सका है।
एबीवीपी ने वामपंथी छात्रों को बताया शहरी नक्सली
नई दिल्ली के जेएनयू हिंसा मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने वामपंथी संगठनों से जुड़े छात्रों को शहरी नक्सली बताते हुए आरोप लगाया कि इन लोगों ने विश्वविद्यालय की छवि को खराब कर दिया है। एबीवीपी ने आठ वीडियो के हवाले से दावा किया कि हिंसा में शामिल लाठी और पत्थरों से लैस नकाबपोश वामपंथी संगठनों से जुड़े हुए लोग हैं।
एबीवीपी की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने प्रेसवार्ता कर कहा कि वीडियो में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष, चुनचुन कुमार, गीता कुमारी, सतीश चंद्र यादव, वामपंथी नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता राजा व पूर्व छात्रसंघ सह सचिव अमुथा जैदीप समेत अन्य वामपंथी छात्र नेताओं को पेरियार हॉस्टल के बाहर डंडों से लैस होकर तो कहीं भीड़ का नेतृत्व करते देखा जा सकता है। बताया नक्सली हमला निधि ने कहा कि एबीवीपी ने पुलिस को सभी वीडियो देकर गत वर्ष 28 अक्टूबर से शुरू होने वाली घटनाओं की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि पांच जनवरी की घटना आंदोलन न होकर विश्वविद्यालय पर एक नक्सली हमला थी। इसके लिए 28 अक्टूबर को ही तैयारी कर ली गई थी। परीक्षा देने के इच्छुक छात्रों को भी धमकाकर अकादमिक गतिविधियों को ठप किया गया है।