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यंग माइंड में आध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी : स्वामी ओंकारानंद

यंग माइंड में आध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी है। आधुनिक समय में युवा पीढ़ी भटकाव की राह पर है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 11:59 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 06:21 AM (IST)
यंग माइंड में आध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी : स्वामी ओंकारानंद
यंग माइंड में आध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी : स्वामी ओंकारानंद

जासं, भुवनेश्वर : यंग माइंड में आध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी है। आधुनिक समय में युवा पीढ़ी भटकाव की राह पर है। हमारी युवा पीढ़ी केवल किताबी ज्ञान में ही सीमित रह गई है। खाओ पियो और मौज करो कि संस्कृति आगे आ रही है। आज किताबी ज्ञान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण अध्यात्मिक ज्ञान है। यह संदेश अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं मोटिवेशनल स्पीकर स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने दिया है। डीएवी कलिगा नगर रीजनल ऑफिस डॉ. केशवचंद्र सतपथी की अनुमति एवं वर्तमान प्रिसिपल विपिन कुमार साहू एवं उनके सहयोगियों की मदद से केयरिग यंग माइंड पर अध्यात्मिक विज्ञान विषयक कार्यशाला में स्वामीजी ने कहा कि संसारी ज्ञान से हम खूब धन दौलत तो कमा लेते परंतु उसका उपयोग कैसे किया जाए, यह नहीं जानते। अत: धन दौलत कमाने से नहीं परंतु आंतरिक खुशी एवं शांति तो अध्यात्मिक ज्ञान से ही मिलेगी। बच्चों में अच्छे संस्कार का जन्म युवाओं के गलत आदतों में सुधार, पढ़ने की रुचि व्यवहारिक ज्ञान, मेमोरी पावर सही जीवन को समझने की कला, सुंदर चरित्र का निर्माण एवं बच्चों का सर्वांगीण विकास अध्यात्मिक ज्ञान के विकास से ही संभव है। बच्चों में अध्यात्मिकता का विकास होना जरूरी है तभी वह अपने गलत आदतों में सुधार ला पाएंगे। स्वामी जी ने गायत्री मंत्र का अर्थ एवं इसका जाप कैसे करना है, इसकी भी चर्चा की और कहा कि गायत्री मंत्र मानव मात्र के लिए है। यह कोई तथाकथित धर्म को संकेत नहीं करता। दवा तो दवा ही है बीमार कोई भी हो सकता है वैसे ही गायत्री मंत्र को किसी विशेष धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता, यह मंत्र मानव मात्र के लिए है। आज के युवाओं में इसका ज्ञान निश्चित रूप से होना चाहिए।

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इस दौरान बच्चों ने भी अपने-अपने विचार रखे और कहा कि स्वामी जी हम सभी के लिए आज असली महाप्रसाद खिलाया है जिसे अपने जीवन में अपनाकर हम मनुष्य कैसे बने। हमारा परिवार, समाज एवं विश्व के प्रति क्या सच्चा धर्म है, उत्तर दायित्व है, इसको समझाया है। अंत में प्रिसिपल विपिन कुमार साहू एवं संयोजिका दीपांजलि साहू एवं सभी शिक्षकों ने स्वामी जी को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया एवं पुन: पधारने का निवेदन किया।


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