कुष्ठ रोगी के पार्थिव शरीर को न मिला कंधा, गुजारिश करता रहा बेटा
बघरचक्का गांव में कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति की मौत के बाद उसे कंधा देने के लिए गांव का कोई व्यक्ति आगे नहीं आया।
ब्रजराजनगर, जेएनएन। कुष्ठ रोग को लेकर भ्रांतियां आज भी समाज में व्याप्त हैं। इसका जीता जागता उदाहरण नगर के गांधी चौक के समीप बघरचक्का गांव में देखने को मिला। यहां एक कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति की मौत के बाद उसे कंधा देने के लिए गांव का कोई व्यक्ति आगे नहीं आया। जबकि उसका बेटा लोगों से पिता के पार्थिव शरीर को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए गुजारिश करता रहा लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनीं। बाद में पूर्व विधायक अनूप साय की पहल पर कुष्ठ रोगी को चार कंधे नसीब हुए और उनका अंतिम संस्कार किया गया।
घटनाक्रम के अनुसार, बघरचक्का गांव के निवासी भूखल उर्मा को कुष्ठ रोग हो जाने की वजह से समाज ने बहिष्कृत कर दिया था। गांव के लोग उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं रखते थे। सात साल पहले पहले उनका बड़ा बेटा भी घर छोड़ कर चला गया जबकि उसकी पत्नी एवं बच्चे यहां रह रहे हैं। छोटा बेटा
अविवाहित है। मंगलवार की तड़के 70 वर्षीय भूखल का निधन हो गया। पिता की मौत के बाद छोटे बेटे ने अपनी जाति वालों से बहुत आग्रह किया फिर भी कोई भूखल को अंतिम संस्कार के लिए कंधा देने के लिए तैयार नहीं हुआ। ऐसी स्थिति में बारह घंटे तक शव को अंतिम संस्कार के लिए नहीं ले जाया जा सका। इसकी खबर मिलते ही पूर्व विधायक अनूप साय ने अपने बड़े भाई प्रमोद साय को जिम्मेदारी सौंपी।
साय ने बीजू युवा वाहिनी के सदस्यों की सहायता से भूखल को गांव स्थित श्मशान में दफनाया गया। इसमें युवा वाहिनी के संयोजक आशीष राणा, राजपुर अध्यक्ष तुषार कांत देव, गांधी चौक अध्यक्ष कमल राउत, तथा आशीष साय, मनोज मेहर, उज्जवल सिंह, रंजन मिर्धा, विकास देहरी, संजय ओराम तथा शुभम नंद ने सहयोग किया।