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ओडिशा में आइएएस व आइपीएस स्तर पर बड़ा फेरबदल

ओडिशा सरकार ने आइएएस स्तर पर बड़ा फेर बदल करते हुए तीन वरिष्ठ आइपीएस को डीजी स्तर पर सरकार ने पदोन्नति दी है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 12:24 PM (IST)
ओडिशा में आइएएस व आइपीएस स्तर पर बड़ा फेरबदल
ओडिशा में आइएएस व आइपीएस स्तर पर बड़ा फेरबदल

भुवनेश्वर, जेएनएन। राज्य सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) स्तर पर बड़ा फेर बदल किया है। तीन वरिष्ठ आइपीएस सत्यजीत महांती, मनोज कुमार छाबड़ा एवं सुरेंद्र पनवार को डीजी स्तर पर सरकार ने पदोन्नति दी है। वहीं 1989 बैच के आइएएस प्रदीप कुमार जेना को ग्रामीण विकास विभाग का मुख्य सचिव बनाया गया था। उन्हें अतिरिक्त तौर पर एसआरसी तथा ओसडमा के एमडी का दायित्व दिया गया है।

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1989 बैच की आइएएस डॉ. मोना शर्मा को जंगल एवं पर्यावरण विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। 1990 बैच के आइएएस संजीव चोपड़ा को गृह विभाग का प्रमुख सचिव के साथ ही अतिरिक्त तौर पर सामान्य प्रशासन विभाग का भी दायित्व दिया गया है। इसी तरह 1991 बैच के आइएएस डॉ. सौरव गर्ग को अतिरिक्त सीएमडी ग्रीडको, ओपीटीसीएल एवं सीईओ ओसीपीएल का दायित्व सरकार ने दिया है। डॉ. गर्ग वर्तमान कृषि विभाग के प्रमुख सचिव हैं। 1995 बैच के आइएएस हेमंत शर्मा को शिल्प सचिव तथा अतिरिक्त तौर पर एमएसएमई तथा इपिकल के सीएमडी का दायित्व दिया गया है।

1995 बैच के विष्णुपद सेठी को ऊर्जा सचिव बनाया गया और साथ ही उन्हें ओएचपीसी के सीएमडी का भी दायित्व मिला है। 1995 बैच के आइएएस चित्रा अरुमुम को विद्यालय एवं जनशिक्षा विभाग का सचिव बनाया

गया है। 1998 बैच के आइएएस विशाल गगन को जल संसाधन विभाग का अतिरिक्त दायित्व मिला है। गगन

वर्तमान जल संशाधन विभाग के विशेष सचिव पद पर हैं। 2007 बैच के आइएएस अरिवन्द अग्रवाल को सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त सचिव दायित्व दिया गया है। अग्रवाल समाज कल्याण निदेशक के साथ महिला विकास समवाय निगम के दायित्व में हैं। आइपीएस व आइएएस स्तर पर हुए इस फेरबदल को निकाय

चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। 

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गजराजों की बढ़ती मौत पर गंभीर हुई सरकार

ओडिशा में हाथियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने ‘गजबंधु योजना’ शुरू करने की घोषणा की हे। मुख्य वन्यप्राणी वार्डन ने इस योजना के संबंध में बताया कि राज्य में हाथियों की लगातार बढती मौत से चिंतित सरकार ने इस योजना को अमल में लाने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत आम नागरिकों से भी सहायता ली जाएगी। जो लोग हाथियों की सुरक्षा में सरकार की मदद करेगें उन्हे पुरस्कार भी प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दुर्घटनाओं में हाथियों की जान जाना चिंता का विषय है। हाथियों के आने-जाने वाले मार्गं पर वाहनों के यातायात

पर निगरानी रखने के लिए स्पीड ब्रेकर सहित सीसीटीवी से निगरानी रखने की योजना बनाई गई है। साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि गजबंधु योजना को एक आंदोलन में बदलने और इसमें ज्यादा से ज्यादा आम लोगों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि विगत 22 अगस्त को क्योंझर जिले के बालीजोड़ी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 20 में सड़क पार कर रहे हाथियों के झुंड पर ट्रक चढ़ जाने से 3 गजराजों की जान चली गई थी।

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