वास्तविक तीर्थस्थल है कीस की धरती
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तथा बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिष्ठात
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तथा बचपन बचाओ आंदोलन के प्रतिष्ठाता कैलाश सत्यार्थी ने पत्नी सुमेधा कैलाश के साथ शुक्रवार को क¨लग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (कीस), भुवनेश्वर का दौरा किया। यहां अपने संबोधन में कैलाश सत्यार्थी ने कीस की धरती को तीर्थस्थल के रूप में सहर्ष स्वीकार करते हुए कहा कि जिस प्रकार विभिन्न धर्मों के लोग मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर जाते हैं और अपनी मुराद पाते हैं, वही मुराद यहां उन्हें आदिवासी बच्चों के चेहरे की मुस्कराहट देखकर मिली है। सत्यार्थी ने बताया कि कि तीन साल पहले डॉ. अच्युत सामंत ने कीट-कीस देखने के लिए उनको आमंत्रित किया था लेकिन आज तो कीट-कीस का पूरा नजारा ही बदल चुका है। 17 हजार आदिवासी बालिका सशक्तीकरण, जहां पर एक व्यक्ति के द्वारा संभव हो रहा है, यह बहुत बड़ी बात है और इसके लिए डॉ. सामंत को साधुवाद दिया। उल्लेखनीय है कि नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त कैलाश सत्यार्थी बाल अधिकारों के संरक्षक एवं समाजसेवी हैं। इससे पूर्व कीस पहुंचने पर संस्थापक अच्युत सामंत समेत बच्चों एवं संस्थान के पदाधिकारियों ने सत्यार्थी दंपती का स्वागत किया। इस दौरान कीट-कीस के सचिव आरएन दास, कीस के सीईओ डॉ. पीके राउतराय प्रमुख उपस्थित रहे।