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Jagannath Rath Yatra: पुरी जगन्नाथ मंदिर के सामने पदचिन्ह को लेकर चर्चा, भक्त कालिया ठाकुर का पदचिन्ह मानकर टेक रहे हैं मत्था

Jagannath Rath Yatra विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा सम्पन्न होने के बाद महाप्रभु रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए हैं। अब सिंहद्वार में पैरों के चिन्ह दिखाई दिए हैं जिसे भक्‍त कालिया ठाकुर प्रभु जगन्नाथ जी का पद चिन्ह मान रहे हैं। जिसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 01:27 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 01:36 PM (IST)
महाप्रभु के रत्न सिंहासन पर जाने के बाद सिंहद्वार में पैरों के चिन्ह दिखाई दिए हैं

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। पुरी जगन्नाथ धाम में महाप्रभु जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा सम्पन्न हो जाने के बाद चतुर्धा विग्रहों के साथ महाप्रभु रत्न सिंहासन पर विराजमान हो गए हैं। हालांकि महाप्रभु के रत्न सिंहासन पर जाने के बाद सिंहद्वार में पैरों के चिन्ह दिखाई दिए हैं, जिसे लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है। भक्त इस पद चिन्ह को कालिया ठाकुर प्रभु जगन्नाथ जी का पद चिन्ह मान रहे हैं और पद चिन्ह पर मत्था टेककर आशीर्वाद ले रहे हैं। हालांकि जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इसे भक्तों की महाप्रभु के प्रति अटूट आस्था बताया है।

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 जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को महाप्रभु की नीलाद्री बिजे नीति सम्पन्न की गई। एक एक कर चतुर्धा विग्रहों को रत्न सिंहासन पर विराजमान कराया गया। चक्रराज सुदर्शन, देवि सुभद्रा, प्रभु बलभद्र की पहंडी खत्म होने के बाद अंत में जगन्नाथ महाप्रभु को पहंडी बिजे में लेजाकर रत्न सिंहासन पर विराजमान कराया गया है। प्रभु बलभद्र एवं देवि सुभद्रा की पहंडी बिजे खत्म होने के बाद सिंहद्वार में कोई पदचिन्ह नहीं था, मगर महाप्रभु जगन्नाथ जी पहंडी बिजे के बाद सिंहद्वार में एक दो नहीं बल्कि शताधिक पदचिन्ह देखने को मिला है।

पदचिन्ह देखने के लिए भीड़

नंदीघोष रथ से लेकर सिंहद्वार अरूण स्तम्भ तक यह पदचिन्ह देखने को मिले हैं। इस पदचिन्ह को देखने के लिए पुलिस कर्मचारी एवं अधिकारियों की भीड़ देखी गई है। पीले रंग (हल्दी कलर) केइस पदचिन्ह को आज वहां उपस्थित अधिकारी, पुलिस, पत्रकारों ने भी देखने के बाद पदचिन्ह पर मत्था टेककर आशीर्वाद लिए हैं। हालांकि जगन्नाथ मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी जितेन्द्र महांति ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि यह भक्तों की महाप्रभु के प्रति श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि महाप्रभु को जब पहंडी बिजे कर रत्न सिंहसान के लिए जाता है, उस समय उनके शरीर पीला रंग का कपड़ा लगा होता है। निचले हिस्से में लगा पीले कलर का कपड़ा जमीन से घर्षण कर जाता जिसका निशान रास्ते में बन जाता है।


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