करीब 100 करोड़ खर्च कर पुलिस स्टेशनों में लगाए गए CCTV कैमरे, अब आधे से अधिक ठप, घोटाले की आ रही बू
ओडिशा में बीते तीन सालों में 591 थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर 96 करोड़ 66 लाख 15 हजार रुपये खर्च किए जा चुके हैं और आज आलम यह है कि आधे से अधिक कैमरे काम नहीं कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पिछले तीन साल में प्रदेश के 591 थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर 96 करोड़ 66 लाख 15 हजार रुपये खर्च किए गए हैं। हालांकि, 19 पुलिस जिलों के पुलिस थानों में लगाए गए 66 प्रतिशत कैमरे खराब हैं। ओडिशा पुलिस विभाग के पास शेष 15 पुलिस जिलों और अपराध शाखा के बारे में विवरण नहीं है।
सीसीटीवी कैमरों पर हुए खर्च से घोटाले की बू
सूचना के अधिकार के तहत जहां इस तरह की जानकारी मिली है, वहीं सीसीटीवी कैमरों पर होने वाले खर्च में बड़े घोटाले की बू आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की सभी राज्य सरकारों को राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था।
न स्टोर हो रहा डेटा, न काम कर रहा मॉनिटर-एनवीआर
क्रिस्टल इंटीग्रेटेड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को ओडिशा के हर पुलिस स्टेशन में सीसी कैमरे स्थापित करने के लिए ओडिशा कंप्यूटर एप्लीकेशन सेंटर (ओसीएसी) के माध्यम से मान्यता दी गई थी। कई जगहों पर सीसीटीवी के लिए लगाए गए मॉनिटर और एनवीआर भी काम नहीं कर रहे हैं। डेटा स्टोर करने का कोई प्रावधान नहीं है।
सीसीटीवी कैमरे लगाने के पीछे अनियमितता
ओडिशा पुलिस के साथ इस तरह के समझौते की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। इस बात का संदेह बढ़ रहा है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के पीछे काफी अनियमितता थी।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी
इससे पहले राज्य के थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों की स्थिति पर सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के आधार पर 29 मार्च को स्थानीय एक अखबार में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। बाद में दूसरे चरण में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई। पुलिस मुख्यालय ने कुल खर्च की राशि और दूसरे चरण में संगठन के साथ हुए समझौते की यह जानकारी उपलब्ध कराई।