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ओडिशा में 4000 मोहल्‍लों को मिलेगी गांव की मान्यता, मुख्यमंत्री पटनायक ने इस संबंध में गाइडलाइन को दी मंजूरी

ओडिशा के 4000 मोहल्‍लों को गांव की मान्‍यता दी जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव विष्णुपद सेठी ने सभी जिलाधीशों को मार्गदर्शिका के अनुपालन हेतु पत्र लिखा है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 11:25 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 11:31 AM (IST)
ओडिशा में 4000 मोहल्‍लों को मिलेगी गांव की मान्यता, मुख्यमंत्री पटनायक ने इस संबंध में गाइडलाइन को दी मंजूरी
ओडिशा में 4000 मोहल्‍लों को मिलेगी गांव की मान्यता

 भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के मोहल्‍लों को गांव की मान्यता मिलेगी। इसके अंतर्गत राज्य के लगभग 4 हजार मोहल्‍लों को गांव की मान्यता दी जाएगी। इस सम्बन्ध में एक गाइडलाइन को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंजूरी दे दी है। मुख्य गांव से 500 मीटर की दूरी पर रहने वाले 250 से अधिक आबादी वाले मोहल्‍लों को राजस्व गांव की मान्यता मिलेगी। मूल गांव से 500 मीटर से कम दूरी वाले मोहल्‍ले की आबादी यदि 300 से अधिक होगी तो फिर उसे राजस्व गांव की मान्यता मिलेगी।

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मानदंड हुए निर्धारित

उसी तरह से प्राकृतिक प्रतिबंधक में मूल गांव से अलग-थलग रहने वाले मोहल्‍लों की आबादी यदि 250 से अधिक होगी तो फिर उसे राजस्व गांव की मान्यता दी जाएगी। गोचर जमीन पर रहने का इस गांव का अधिकार होगा। प्राकृतिक प्रतिबंधक रहने वाले गांव को भी राजस्व गांव की मान्यता मिलेगी। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव विष्णुपद सेठी ने सभी जिलाधीशों को मार्गदर्शिका के अनुपालन हेतु पत्र लिखा है। कब किस गांव को राजस्व गांव की मान्यता दी जाएगी, उसके लिए कई मानदंड निर्धारित किए गए हैं।

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव विष्णुपद सेठी ने जिलाधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा है कि मौजूदा मूल गांव से नए राजस्व गांव के निर्माण के लिए गोचर और सांप्रदायिक भूमि के लिए आरक्षण सीमा पर जोर न दें। हालांकि, नवनिर्मित गांव के निवासियों के पास अभी भी मौजूदा गोचर और मातृ गांव में स्थित सांप्रदायिक भूमि तक पहुंच होगी। सेठी ने स्पष्ट किया है कि सभी सांप्रदायिक और साथ ही गोचर भूमि आदि दोनों गांवों के लिए सामान्य संपत्ति संसाधन (सीपीआर) होंगे। सेठी ने जिला कलेक्टरों को सूचित करते हुए कहा कि आरक्षण सीमा पर जोर न देकर राज्य अब लगभग 4000 नए गांव बनाएगा, जिससे लोगों को फायदा होगा।

जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 53 हजार 845 गांव हैं एवं 6234 ग्राम पंचायत है। मयूरभंज जिले में सर्वाधिक 3970 गांव हैं जबकि झारसुगुड़ा जिले में सबसे कम 356 गांव हैं। गौरतलब है कि विभिन्न समय में विधानसभा में भी नए गांव की मांग उठती रही है। पंचायत चुनाव अब नजदीक आ रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा 4000 नए गांव बनाने की घोषणा को चुनावी कड़ी से ही जोड़कर देखा जा रहा है।


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