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भारत का एक जिला जहां बच्‍चों ने कभी नहीं देखी ट्रेन, वहां सामने आई माल्यवंत एक्सप्रेस

बच्चों को ट्रेन के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से विद्यालय व कक्षा को दिया गया है पूरी तरह से ट्रेन का रूप

By BabitaEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 09:35 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 09:51 AM (IST)
भारत का एक जिला जहां बच्‍चों ने कभी नहीं देखी ट्रेन, वहां सामने आई माल्यवंत एक्सप्रेस
भारत का एक जिला जहां बच्‍चों ने कभी नहीं देखी ट्रेन, वहां सामने आई माल्यवंत एक्सप्रेस

भुवनेश्वर [शेषनाथ राय]। रेल नेटवर्क से मलकानगिरी जिला आज भी नहीं जुड़ा है। परिणाम स्वरूप इस इलाके के लोगों के लिए रेल सेवा सपने के समान है। इलाके के बच्चों ने तो आज तक ट्रेन देखी ही नहीं हैं। ऐसे में इन बच्चों को ट्रेन के बारे में वास्तविक जानकारी देने के उद्देश्य से सर्वशिक्षा अभियान की तरफ से स्कूल के कक्षा गृह को ही ट्रेन का रूप दे दिया गया है।

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पूरी तरह से ट्रेन जैसे ही इस विद्यालय को बनाए जाने की बात स्कूल प्रधान शिक्षक प्रकाश नायक ने कही है।माल्यवंत एक्सप्रेस के रेल डिब्बा के अंदर छोटे-छोटे बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं, तो कभी रेल डिब्बे के दरवाजे पर भीड़ लगाते हैं। पूरी तरह से ट्रेन की तरह दिखने वाला माल्यवंत एक्सप्रेस हकीकत में यह बच्चों का कक्षा गृह है जो कि ओडिशा के आदिवासी प्रवण मलकानगिरी जिला सदर महकमा में मौजूद है। इस स्कूल का नाम बुटीगुड़ा उच्च प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय के कक्षा गृह को रेल डिब्बा की तरह चित्रित किया गया है। छोटे-छोटे बच्चे इस रेल डिब्बे की तरह निर्मित कक्षा गृह में बैठकर पढ़ाई करते हैं, जिसका नाम माल्यवंत एक्सप्रेस रखा गया है।

 

प्रधान शिक्षक प्रकाश नायक ने कहा कि बच्चों को इससे ट्रेन के बारे में वास्तविक कुछ ज्ञान मिलता है। उन्हें ट्रेन के बारे में जानकारी मिल रही है। पहले स्कूल की दीवारों पर ट्रेन के बारे में चित्र अंकित किए गए थे, जिसे बच्चे देख रहे थे, मगर उन्हें अधिक ज्ञान नहीं मिलता था, अब ट्रेन की तरह से विद्यालय को चित्रित करने से बच्चों को ट्रेन के बारे में अधिक जानकारी मिल रही है।

उल्लेखनीय है कि एक तरफ तो मानव चांद तक सफर कर चुका है और चांद पर बसने की योजना बना रहा है, मगर ओडिशा के इस अति पिछड़े मालकानगिरी जिला के माल्यवंत में आज तक रेलगाड़ी तक नहीं पहुंच पायी है। बच्चों का कहना है कि हमने अपने जीवन में कभी भी ट्रेन नहीं देखी है। टेलीविजन में ट्रेन देखते हैं। सरकार यदि इस इलाके में ट्रेन की सुवधिा दे तो हमें भी हकीकत में ट्रेन देखने का मौका मिलेगा। फिलहाल हम विद्यालय को ट्रेन की तरह देखकर खुश होते है।


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