President Election 2022: राष्ट्रपति पद की रेस में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा, जानें-इनकी शिक्षा, नौकरी और सियासी सफर
President Election 2022 राष्ट्रपति पद की रेस में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा की शिक्षा नौकरी और सियासी सफर में काफी उतार-चढ़ाव आए हैं। मुर्मू 24 जून और सिन्हा 27 जून को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन करेंगे।
नई दिल्ली, जेएनएन। President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने एनडीए की ओर से आदिवासी नेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, विपक्ष ने पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। द्रौपदी मुर्मू 24 जून को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर नामांकन करेंगी। वहीं, यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर 27 जून को अपना नामांकन करेंगे। राष्ट्रपति पद के लिए आगामी 19 जुलाई को चुनाव होगा और 21 जुलाई को परिणाम घोषित होगा। राष्ट्रपति पद की रेस में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा की शिक्षा, नौकरी और सियासी सफर से जुड़ी खास बातें जानिएः
शिक्षाः
राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भुवनेश्वर के रमा देवी कालेज से कला स्नातक कर राजनीति और समाजसेवा में लगभग दो दशक का समय व्यतीत किया है।
विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने आरंभिक पढ़ाई पटना में की। राजनीतिशास्त्र में परास्नातक समाजवादी विचारधारा के साथ राजनीति की शुरुआत की थी।
नौकरीः
द्रौपदी मुर्मू के पास वृहद प्रशासनिक अनुभव है। वह ओडिशा में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य व पशुपालन विभाग की मंत्री रही हैं। मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया।
यशवंत सिन्हा ने 1960 में आइएएस ज्वाइन किया। 24 वर्ष तक एसडीएम से लेकर विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे। बान, जर्मनी स्थित भारतीय दूतावास और फ्रैंकफर्ट में काउंसेल जनरल भी रहे।
सियासी सफरः
द्रौपदी मुर्मू ने राजनीतिक करियर का आरंभ पार्षद के रूप में किया और बाद में ओडिशा के रायरंगपुर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की वाइस चेयरमैन बनीं। संताल आदिवासी समुदाय से आने वाली द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल के तौर पर भी अपनी प्रशासनिक दक्षता की छाप छोड़ी है। 1997 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत।ओडिशा के रायरंगपुर क्षेत्र से भाजपा की विधायक रहीं। बीजद और भाजपा गठबंधन में नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं। वर्ष 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनाई गईं, छह वर्ष से अधिक समय तक इस पद पर रहीं।
वहीं, यशवंत सिन्हा एक तेजतर्रार प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता के रूप में लंबा अनुभव रखते हैं। चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह विदेश मंत्री भी रहे। केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, भूतल परिवहन मंत्रालय पद पर भी रहे। 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा, जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। 1986 में महासचिव बनाए गए। 1989 में जनता दल में शामिल हुए। 1996 में भाजपा में शामिल हुए। 1998 में हजारीबाग से सांसद निर्वाचित, वित्त मंत्री बने 1996 में भाजपा में शामिल होने के बाद प्रमुख जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वर्ष 2018 में भाजपा से इस्तीफा दिया। वर्ष 2004 में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से चुनाव हारे। भाजपा से इस्तीफे के बाद 13 मार्च, 2021 को तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनाए गए।