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फिर मंडराया चक्रवात का खतरा, बंगोप सागर में बना कम दबाव ले रहा तूफान का रूप

बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र चक्रवात का रूप धारण कर रहा है, मौसम विभाग के अनुसार 15 दिसंबर तक ये तूफान उग्र रूप धारण कर सकता है।

By BabitaEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 02:42 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 02:42 PM (IST)
फिर मंडराया चक्रवात का खतरा, बंगोप सागर में बना कम दबाव ले रहा तूफान का रूप
फिर मंडराया चक्रवात का खतरा, बंगोप सागर में बना कम दबाव ले रहा तूफान का रूप

भुवनेश्वर, जेएनएन। दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी में बना अवपात (कम दबाव) चक्रवात का रूप धारण कर रहा है। यह वर्तमान समय में 11 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से यह उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा की तरफ आगे बढ़ रहा है। खबर के मुताबिक गुरुवार रात 10 बजे तक यह तमिलनाडु के चेन्नई से 1080 किमी. एवं अान्ध्र प्रदेश के मच्छलीपाटनम से 1250 किमी. दूर पर सक्रिय है। शुक्रवार देर तक यह तूफान का रूप धारण कर लेगा और आन्ध्र प्रदेश की तरफ आगे बढ़ेगा।  

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भारतीय मौसम विभाग के आकलन के मुताबिक आगामी 15 दिसम्बर की रात में यह तूफान उग्र रूप धारण कर सकता है और इसके प्रभाव से 110 से 120 किमी. की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान है। इस तूफान के प्रभाव से आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु के साथ ओडिशा, अंडमान निकोबार, द्वीपपुंज व पश्चिम बंगाल आदि राज्य में तेज हवा के साथ भारी बारिश हो सकती है। इसे देखते हुए सभी राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अवगत करा दिया गया है।

16 दिसम्बर तक बंगोप सागर अशांत रहेगा, ऐसे में मछुआरों को समुद्र में न जाने की हिदायत दी गई है।    ऐसे में ओड़िशा में सम्भावित तूफान को देखते हुए ओडिशा सरकार की तरफ से सतर्क सूचना जारी कर दी गई है। सभी जिलों के जिलाधीश को तूफान पर नजर बनाए रखने को कहा गया है। ओडशिा कृषि एवं तकनीकी विश्व विद्यालय (ओयूएटी) संप्रसारण शिक्षा निदेशालय की तरफ से सतर्क सूचना जारी की गई है।

खेतों में तैयार धान की फसल की तुरंत कटाई करने के साथ उसे सुरक्षित स्थान पर रखने को कहा गया है। इसके साथ ही जो धान काट लिए गए हैं, उसे सुरक्षित स्थान पर रखने को कहा गया है। मंडी में पड़े धान को ढककर रखने निचले इलाके में रहने वाले धान की फसल से पानी निष्कासन की व्यवस्था करने या फिर बारिश से पहले सुरक्षित रखने की सलाह दी गई है।

इसके अलावा मूंग, उड़द, मटर, कुलथी आदि दालीय फसल से पानी निष्कासन की व्यवस्था करने को कहा गया है। इसके अलावा अन्य तमाम फसलों जिसमें जल जमाव होने से फसल नष्ट हो सकती है, उन फसलों के खेत में जल निकासी की व्यवस्था करने को कहा गया है। 


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