ओडिशा में तितली का प्रभाव, लाखों लोग पानी के घेरे में फंसे; नदियां उफान पर
भुवनेश्वर, कटक , केंद्रपाड़ा, बालेश्वर, गंजाम, गजपति आदि जिले में भीषण बारिश हो रही है, लगातार हो रही बारिश से नदियां उफान पर हैं।
भुवनेश्वर, जेएनएन। चक्रवाती तूफान तितली के प्रभाव से पूरे राज्य में मूसलाधार बारिश हो रही है गुरुवार देर शाम रात 8 बजे से राजधानी भुवनेश्वर, कटक , केंद्रपाड़ा, बालेश्वर, गंजाम, गजपति आदि जिले में भीषण बारिश हो रही है। लगातार बारिश होने से कई नदियां उफान पर आ गई हैं इससे राज्य का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ गया है। लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं कई इलाकों का संपर्क बाहरी दुनिया से कट गया है। राजधानी भुवनेश्वर एवं कटक में भी स्थिति गंभीर है। यहां नीचे इलाकों में 3 से 4 फुट पानी हिलोरा मार रहा । लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया है। तूफान के बाद इस बारिश ने लोगों पर आफत बनकर टूटी है।
खबर के मुताबिक राज्य मे लाखों की संख्या में लोग पानी के घेरे में हैं। खासकर सबसे ज्यादा प्रभावित गंजाम जिला हुआ है लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। जल का स्तर खतरे के निशान से 6 मीटर ऊपर प्रवाहित हो रहा है।
गंजाम व गजपति में भारी बारिश से जीवन अस्तव्यस्त
गंजाम जिला के शेरगढ़ ब्लाक में चक्रवाती तूफान तितली के प्रभाव के बाद भारी बारिश का दौर जारी है। परिणाम स्वरूप ब्लाक के दो हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। वहीं पांच सौ अधिक हेक्टेयर में सब्जी की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई है। शेरगढ़, तारेड़ो, पितल तहीर बांदीआमा, पाकिड़ी, नरेंद्रपुर, कुरुला आदि गांव के खेत पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। इसे लेकर किसान हताश हो गए हैं।
वहीं, पंचायत से होकर गुजरने वाली नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है। इससे नदी के किनारे रहने वाले गांव के लोग संभावित बाढ़ को लेकर सहमे हुए हैं। स्थानीय तहसीलदार डा. दर्यांसधु परिड़ा, बीडीओ सुरंजन कुमार साहू ने कहा है कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। वहीं पंचायत के सदस्यों ने कहा है हमें हमारे नुकसान हुई फसलों का मुआवजा मिलना चाहिए।
चक्रवाती तूफान तितली के प्रभाव से तेज हवा चलने और लगातार बारिश जारी होने से गजपति जिला सबसे अधिक प्रभावित हुआ इससे वहां आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। तूफान के प्रभाव से जिला में बुधवार रात से ही तेज हवा के साथ बारिश होने लगी थी। भारी बारिश होने से लेड़बंध नदी का पानी तीन फीट रास्ते के ऊपर से बह रहा है। इससे बरहमपुररायगड़ा के बीच संपर्क कट गया है। उसी तरह भारी बारिश के चलते अठरनला ब्रिज के ऊपर भी पांच फीट पानी प्रवाहित हो रहा है। इससे मोहना से अंतरवा एवं गुमीगुड़ा के साथ आठ पंचायतों का संपर्क कट गया है। रास्तों पर पेड़ उखड़कर गिर गए हैं, जिससे इस इलाके में बिजली सेवा बाधित है।
गोपालपुर में जमीन छूने के बाद प. बंगाल की ओर बढ़ा तितली
समुद्री तूफान तितली गोपालपुर में जमीन को छूने के बाद पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ गया। यह तूफान पलासा एवं श्रीकाकुलम होते हुए पश्चिम बंगाल की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। गुरुवार को सुबह 5:25 बजे तितली तूफान के दक्षिण ओडिशा के गोपालपुर एवं उत्तर आंध्रप्रदेश के र्कंलगपट्टनम में जमीन से टकराने के बाद वहां 102 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चलने के साथ भारी बारिश होने लगी जो लगातार जारी थी। इससे पहले मौसम विभाग ने हवा की गति 160 से 165 किमी प्रति घंटा रहने का अनुमान लगाया गया था।
पुरी में समुद्र अशांत, बेलाभूमि मार्ग तक पहुंचा पानी
चक्रवाती तूफान तितली का सीधा प्रभाव पुरी में भी देखा गया। यहां पर गुरुवार सुबह 50 से 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली। मगर समुद्र पूरी तरह अशांत था। समुद्र में ऊंची ऊंची लहरें हिलोरे मारती रहीं। सुबह के समय समुद्र का पानी बेलाभूमि मार्ग के समीप तक पहुंच जाने से लोगों में दहशत देखी गई।
तितली तूफान के चलते चिलिका झील अशांत, उठीं लहरें
चक्रवाती तूफान तितली के कारण चिलिका झील पूरी तरह से अशांत हो गई है। तूफान के चलते समुद्र की लहरों के चिलिका झील में प्रवेश करने के बाद वहां पांच फीट ऊंचा ज्वार उठा जो कि बांध को पार करते हुए गांव के अंदर घुस गया। इतना ही नहीं ज्वार के कारण चिलिका झील के किनारे मौजूद अरखकुदा गांव के पास एक प्राकृतिक मुहाण (स्रोत) खुल गया है। इससे अरखकुदा गांव के हरचंडी साही, भागवत साही, लक्ष्मीनारायण साही एवं शिववंत मुहल्ले में करीबन तीन फुट समुद्र का पानी गांव के अंदर हिलोरे मार रहा है। इससे इस क्षेत्र में रहने वाले करीब 200 से अधिक परिवार की मुश्किल बढ़ गई है।
सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति से निपटने में जुट गए हैं। बताया गया है कि तितली तूफान के प्रभाव से गुरुवार को सुबह चिलिका में फीट ऊंचा ज्वार उठा। जो अरखकुदा गांव के पास मौजूद रिंग बांध को पार करते हुए गांव के अंदर घुस गया। यह प्रक्रिया कई बाद होने से गांव के अंदर तीन फीट ऊंचा समुद्र का पानी हिलोरे मारने लगा। चिलिका में और एक मुहाण खुल जाने से गांव के लोगों में भय का माहौल है।