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तीसरी संतान को जन्म देने वाले दंपतियों को आर्थिक दंड के साथ मिले जेल की सजा: जेएसएफ

जनसंख्या समाधान फाउंडेशन की ओर से प्रधानमंत्री के नाम बालेश्वर के अतिरिक्त जिलाधीश नीलू महापात्र के जरिए मांगों की सूची प्रदान की गयी है। जिसमें देश की जनसंख्‍या को लेकर चिंता जतायी गई है। स्वाधीनता के वक्त भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी जो बढ़कर 140 करोड़ हो चुकी है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 11:49 AM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 11:49 AM (IST)
प्रधानमंत्री के नाम अतिरिक्त जिलाधीश को मांगों की सूची सौंपते जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के नेता

बालेश्वर, जागरण संवाददाता। जिस देश में जनसंख्या का सटीक संतुलन है उस देश में स्वास्थ्य शिक्षा नियुक्ति आवागमन सारी व्यवस्था दुरुस्त है। उस देश में पर्यावरण भी अनुकूल और अच्छा है। विज्ञान के क्षेत्र में भी वह देश प्रगति के पथ पर है। इसके साथ-साथ बेरोजगारी समस्या कानूनी परिस्थितियां कम जनसंख्या वाले देश में नियंत्रित होने की बात जनसंख्या समाधान फाउंडेशन की तरफ से कही गई है।

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देश के स्वाधीनता के वक्त भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी जो आज बढ़कर करीब 140 करोड़ हो चुकी है। यहां प्रत्येक 1 मिनट में करीब 51 नवजात शिशु जन्म लेते हैं। भारत एक भयंकर जनसंख्या विस्फोटक स्थिति से गुजर रहा है। भारत में मात्र 2.4 प्रतिशत स्थल भाग है। प्रत्येक वर्ग किलोमीटर में पृथ्वी के सर्वाधिक 411 लोग भारत में रहते हैं जबकि चीन का क्षेत्रफल अपने देश से 3 गुना अधिक है। यहां प्रति वर्ग किलोमीटर में मात्र 153 लोग रहते हैं। उसी तरह पृथ्वी के विभिन्न देशों के आंकड़ों पर नजर डालें तो जमीन के अनुपात के अनुसार जनसंख्या का अनुपात काफी कम है। आज जनसंख्या के चलते आने वाले दिनों में भारत के सामने एक गंभीर समस्या उपजने वाला है।

भारत बेरोजगारी की समस्या में आज विश्व में सर्वोच्च स्थान पर है इसका कारण जनसंख्या ही है। यदि विश्व के अन्य देशों पर नजर डालें तो वहां बेरोजगारी समस्या की मात्रा काफी कम है। आज भारत में असंतुलित जन्म विवरण के कारण स्वस्थ और चिकित्सा की हालत चरमरा चुकी है जिसका सबसे बड़ा कारण है बढ़ती जनसंख्या। इतने बड़े जनसंख्या अपने देश की है कि चाहे कोई भी सरकार आए वह शिक्षा स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कोई भी मंगलकारी योजनाओं को संपूर्ण रूप से लागू करने में समर्थ नहीं होगी तथा इन सभी योजनाओं का लाभ जन जन तक भी नहीं पहुंच पाएगी।

उदाहरण के लिए कोविड-19 को लिया जाए तो हर प्रकार से सरकार विफल हो रही है इसके लिए असंतुलित जनसंख्या उत्तरदायित्व केवल हमारे देश में भारी जनसंख्या के कारण आज  आम जनता का तथा देश का भविष्य अंधेरे में डूबने लगा है जिसके चलते देश का इतिहास और संस्कृति भी खतरे में पड़ चुका है। भारत में जनसंख्या विस्फोट आज मानो कैंसर की तरह फैलता चला जा रहा है भारत में बहुत सारे समस्याएं जैसे जल की समस्या बेरोजगारी समस्या पर्यावरण की समस्या तथा उसके साथ-साथ सांप्रदायिक दंगा और आतंकवादी आक्रमण सब भारत की असंतुलित जनसंख्या का एक बड़ा कारण है।

इन सब पर यदि सरकार नियंत्रण नहीं करेगी तो इसका खामियाजा आम जनता के साथ-साथ सरकार को भी भुगतना पड़ेगा। आज चीन अपने देश में बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने में कामयाब हो गया है। यदि भारत अपनी बढ़ती जनसंख्या पर लगाम न लगा पाया तो उसका खामियाजा इस देश को अवश्य भुगतना पड़ेगा। जनसंख्या नियंत्रण कानून लाकर सबसे पहले सरकार को जनसंख्या को संतुलित करना पड़ेगा तथा प्रत्येक नागरिकों के लिए दो संतान वाला कानून लागू किया जाना चाहिए।

सरकार को चाहिए कि वह कानून के जरिए यह व्यवस्था लाएं तथा तीसरी संतान पैदा करने वाले दंपतियों को सरकार की सारी सुविधाओं से वंचित किया जाना चाहिए तथा उन पर आर्थिक दंड के साथ-साथ जेल का भी दंड का प्रावधान होना चाहिए। यह कहना है जनसंख्या समाधान फाउंडेशन का। इस संगठन के बालेश्वर शाखा की ओर से प्रधानमंत्री के नाम बालेश्वर के अतिरिक्त जिलाधीश नीलू महापात्र के जरिए एक मांगों की सूची प्रदान किया गया है। जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के ओडिशा राज्य इकाई के अध्यक्ष विपिन दास, राज्य सचिव समेत जिला अध्यक्ष तथा इस संगठन से जुड़े भारी संख्या में लोग अतिरिक्त जिलाधीश को प्रधानमंत्री के नाम पर जाने वाले मांग पत्र के वक्त मौजूद थे। 


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