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लोकायुक्त को लेकर मुखर हुई कांग्रेस, मुख्यमंत्री पर निशाना

ओडिशा में लोकायुक्त बनाने एवं नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी के लिए कांग्रेस ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जिम्मेदार ठहराया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 05:14 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 05:14 PM (IST)
लोकायुक्त को लेकर मुखर हुई कांग्रेस, मुख्यमंत्री पर निशाना
लोकायुक्त को लेकर मुखर हुई कांग्रेस, मुख्यमंत्री पर निशाना

जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : ओडिशा में लोकायुक्त बनाने एवं नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी के लिए कांग्रेस ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जिम्मेदार ठहराया है। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्य प्रकाश नायक ने कहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के बेवजह हस्तक्षेप के चलते लोकायुक्त नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इस संबंध में उन्होंने तथ्य के साथ विधानसभा में दिए गए उत्तर को भी दिखाया। नायक ने कहा कि कई मामलों में बीजद सरकार की छवि खराब हुई है। लोकायुक्त नियुक्ति के बाद सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से पर्दा हट जाएगा, इसी डर से सरकार जान-बूझकर इसमें देरी कर रही है।

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उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट का नियुक्ति एवं लोकायुक्त गठन के बारे में दिया गया निर्देश राज्य प्रशासन के लिए तमाचा के समान है। वर्ष 2014 चुनाव से पहले अपनी छवि को निखारने के लिए 5 फरवरी 2014 को नवीन बाबू की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट ने लोकायुक्त गठन करने को नया अधिनियम बनाने संबंधी प्रस्ताव का अनुमोदन किया था। 16 जनवरी 2015 को राष्ट्रपति ने इस विधेयक को अनुमोदित भी कर दिया मगर इसके क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार ने प्रयास नहीं किया है।

सत्य प्रकाश ने कहा कि आश्चर्य की बात तो यह है कि लोकायुक्त अधिनियम प्रकाशित करने के बाद यह फाइल कानून विभाग के पास जानी चाहिए, मगर वैसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जीए विभाग से संबंधित फाइल को मंगा लिया। 2015 जनवरी से मई 2018 तक यह फाइल सीएमओ कार्यालय में पड़ी रहने का आरोप कांग्रेस ने लगाया है। अब सामने चुनाव आ रहा है। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट की ताकीद को देखते हुए हड़बड़ी में विगत 23 जून को विधेयक की व्यवस्था के मुताबिक गजेट प्रकाशित की गई। इसके बाद विगत सात जुलाई से इसे कार्यकारी होने की बात कह दी गई। लोकायुक्त नियुक्ति के लिए एक सर्च कमेटी बना दी गई, जिसे 3 महीने का समय दिया गया। इस तीन महीने में राज्य सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। ऐसे में अब और तीन महीने समय की जरूरत होने की बात को दर्शाते हुए सुप्रीमकोर्ट से सरकार ने मोहलत मांगी, जिसे शीर्ष अदालत ने नकार दिया है। ऐसे में यह प्रमाणित हो रहा है कि लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार टाल-मटोल की नीति अपना रही है। 3 साल 4 महीने तक फाइल को सीएमओ कार्यालय में किसके लिए दबाकर रखा गया, इसका जवाब राज्यवासियों को मिलना चाहिए। यदि सरकार की तरफ से इसका जवाब नहीं दिया गया तो फिर कांग्रेस आंदोलन का रास्ता अपनाएगी।


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