केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा कानून पर ओडिशा ने जताया एतराज
उपभोक्ता सुरक्षा कानून-1986 के बदले केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए खाद्य सुरक्षा कानून-2019 को लेकर राज्य सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
जासं, भुवनेश्वर : उपभोक्ता सुरक्षा कानून-1986 के बदले केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए खाद्य सुरक्षा कानून- 2019 को लेकर ओडिशा ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। केंद्र सरकार ने इस कानून के जरिए राज्य सरकार की कई क्षमताओं को छीनकर संघीय व्यवस्था का उल्लंघन किया है। राज्य सरकार ने कहा है कि केंद्र सरकार नए कानून को लागू करने के लिए जो नियमावली तैयार कर रही है उसमें ओडिशा की आपत्ति को स्वीकार कर इसमें संशोधन करे। साथ ही नियमावली को अंतिम रूप देने से पहले सभी राज्य सरकारों के साथ इस संदर्भ में विस्तार से चर्चा करने के लिए मांग की है। राज्य के खाद्य आपूíत मंत्री रणेंद्र प्रताप स्वांई ने इस संदर्भ में केंद्रीय उपभोक्ता व्यापार तथा खाद्य एवं सामान्य आवंटन मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
मंत्री ने अपने पत्र में बताया है कि नए नियम में केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा परिषद में राज्य सरकार के उपभोक्ता कल्याण विभाग सचिव को सदस्य के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए। कानून की धारा 29 के अनुसार जिला उपभोक्ता विवाद समाधान आयोग में अध्यक्ष एवं सदस्य के त्यागपत्र को स्वीकार एवं अस्वीकार करने का अधिकार राज्य सरकार के हाथ में होना चाहिए। आरोप दाखिल करते समय उपभोक्ता नकद या इलेक्ट्रॉनिक फार्मेट में दाखिल किए गए देय, राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित हेड ऑफ अकाउंटेंट में दाखिल करने की जरूरत है। इस राशि को राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा रखना चाहिए। इस तरह से उपभोक्ता मध्यस्थता सेल को राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर बनाने के लिए केंद्र सरकार नियम मे ंबदलाव लाए। कहा है कि ई-कॉमर्स एवं सीधी बिक्री व्यवस्था में अनैतिक व्यवसाय रोकने के लिए तथा उपभोक्ताओं के हित की रक्षा करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार को मिलकर समुचित कदम उठाने की जरूरत होने का प्रस्ताव दिया है। मंत्री स्वांई ने लिखा है कि हम नए कानून में केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा अधिकारी गठन की प्रक्रिया का स्वागत करते हैं लेकिन कुछ मौजूद खामियों को बदलने के लिए सलाह दे रहे हैं। इस नियम में धारा 16 तथा 19 के अनुसार, केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा अधिकारी किसी भी उपभोक्ता विवाद मामले में सीधे जिलाधीश को रिपोर्ट तलब कर सकते हैं। राज्य सरकार की अनदेखी कर सीधे जिलाधीश से रिपोर्ट तलब किया जाना संघीय व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। इसे राज्य सरकार के उपभोक्ता व्यापार विभाग के माध्यम से किया जाना उचित है। नए कानून में जिला तथा राज्य उपभोक्ता आयोग अथवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के बारे में चयन प्रक्रिया, नियुक्ति शर्तावली, अवधि, इस्तीफा आदि का अधिकार केंद्र सरकार को दिया गया है जो कि बिल्कुल ही स्वीकार योग्य नहीं है। इसमें बदलाव कर वर्तमान में प्रचलित व्यवस्था को कायम रखने के लिए ओडिशा सरकार मांग कर रही है। साथ ही राज्य आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों के वेतन तथा भत्ता आदि खर्च के अलावा इसके संचालन खर्च में 75 फीसद केंद्र सरकार वहन करे।