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ओडिशा धूमधाम से मना बोइत बंदाण पर्व, जलाशयों पर उमड़ा हुजूम; नौका बहा लोगों ने की आतिशबाजी

Boit Bandaan festival 2021 कार्तिक पूर्णिमा पर पूरे ओडिशा में लोगों ने धूमधाम के साथ बोइत बंदाण पर्व मनाया। प्रशासनिक प्रतिबंध के बावजूद जलाशयों के पास लोगों का हुजूम उमड़ा। इस अवसर पर जलाशयों में नौका बहाने के साथ ही लोगों ने जमकर आतिशबाजी भी की।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 01:46 PM (IST)
ओडिशा की कुआखाई नदी में नाव बहाती महिलाएं

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आज प्रदेश भर में ओडिशा के लोगों ने आ का मा बै, पान गुवा थोई पान गुवा तोर, मासक धरम मोर गीत को गुनगुनाते हुए विभिन्न जलाशयों में कागज की नाव बहाकर बोइत बंदाण पर्व मनाते हुए धन-धान्य की कामना की है। हालांकि सरकार की तरफ से इन जगहों पर पर्व मनाने पर पाबंदी लगायी गई थी। बावजूद इसके विभिन्न जलाशयों के साथ राज्य के विभिन्न जगहों पर मौजूद नदियों में आज भोर के समय लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली है। आतिशबाजी करने के साथ ही लोगों ने नौका बहाकर पर्व का पालन किया।

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जलाशयों के साथ मंदिरों में भारी भीड़ देखी

भोर होते ही लोग अपने अपने परिवार के साथ नजदीक के जलाशय या नदी किनारे पहुंच गए और परंपरा के मुताबिक उत्साह के साथ नाव बहायी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विभिन्न मंदिरों में भी लोगों की लम्बी कतारें देखी गई है। भुवनेश्वर, कटक, गंजाम, पुरी आदि तमाम शहरों में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया गया था, फिर इस पर्व को मनाने के लिए जलाशयों के साथ मंदिरों में भारी भीड़ देखी गई है। कटक में हर साल कार्तिक पूर्णिमा से उत्कलीय परंपरा तथा ऐतिह्य सम्पन्न बालीयात्रा शुरू होती है।

इस अवसर पर यहां ऐतिहासिक व्यापार मेला लगता है और विभिन्न राज्य से व्यापारी इस मेले में अपने स्टाल लगाकर व्यापार करते हैं। बालीयात्रा मेला को देखने के लिए भी राज्य भर से लोगों की भीड़ होती थी, मगर पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना महामारी को देखते हुए बालीयात्रा मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी गई है।

यहां उल्लेखनीय है कि आज का यह दिन उत्कलीय प्रांत की ऐतिहासिक परंपरा को याद दिलाता है। प्राचीन काल में विभिन्न देशों में व्यापार करने जाने वाले लोग इसी दिन अपने घर लौटते थे और घर के लोग उनका भव्य स्वागत करते थे। घर में खुशहाली आती थी। यह परंपरा बोइत बंदाण के ऐतिह्य का वर्णन करती है।


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