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भाजपा ने मठ-मंदिर तोड़ने की प्रक्रिया पर उठाए सवाल कहा, आेडिशा सरकार का तरीका गलत

भाजपा पुरी जिला अध्यक्ष प्रभंजन महापात्र ने मठ मंदिरों को तोड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि हम विकास कार्य का विरोध नहीं कर रहे लेकिन मठों का इस तरह से तोड़ना गलत है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 07:51 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 07:51 AM (IST)
भाजपा ने मठ-मंदिर तोड़ने की प्रक्रिया पर उठाए सवाल कहा, आेडिशा सरकार का तरीका गलत
भाजपा ने मठ-मंदिर तोड़ने की प्रक्रिया पर उठाए सवाल कहा, आेडिशा सरकार का तरीका गलत

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। श्रीमंदिर की सुरक्षा एवं पुरी शहर के विकास के नाम पर पुरी श्रीमंदिर के चारों तरफ 75 मीटर में बने निर्माण को तोड़े जाने की प्रक्रिया का विरोध जगतगुरू शंकराचार्य के अलावा राज्य भाजपा, ओड़िशा सुरक्षा सेना एवं जगन्नाथ सेना ने किया है। 

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भारतीय जनता पार्टी के पुरी जिला अध्यक्ष प्रभंजन महापात्र ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि हम विकास कार्य का विरोध नहीं कर रहे हैं मगर मनमाने ढंग से राज्य सरकार मठ मंदिरों को तोड़ रही है, जिसके प्रतिवाद में जिला भाजपा इकाई की तरफ से पुरी जिलाधीश को ज्ञापन भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो तरीका अपनाया है, वह गलत है। मठों में रहने वाले लोगों की दुकानों को तोड़ने से पहले उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये सभी मठ काफी पुराने जमाने के थे, जो किसी प्रकार के प्रयोग में नहीं आ रहे थे, उल्टे इन जगहों पर असामाजिक तत्व का जमावड़ा हो रहा था। ऐसे में सरकार यदि सभी से विचार विमर्श करने के बाद यह कदम उठाती तो बेहतर होता। 

जगन्नाथ सेना के आवाहक प्रियदर्शन पटनायक  ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि पहले पुनर्वास फिर उच्छेद किया जाए, जो नियम भी कहता है। पुरी शहर के विकास को हम स्वागत करेंगे मगर विकास विनाश न हो। पुरी एक धार्मिक स्थान है। देश के चारों धाम में से सबसे बड़ा धाम जगन्नाथ धाम है। मठ-मंदिर ही शहर की कीर्ति हैं इसके अलावा शहर में और है क्या। इन्हें तोड़ना ठीक नहीं है। इसके खिलाफ हम कानूनी तरीके से लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने बताया कि मठ मंदिर एवं घरों को तोड़ने से पहले सरकार ने 300 करोड़ रुपये की घोषणा किया था, मगर किसी को आज तक एक भी रुपये नहीं मिला है। सरकार ने कथनी एवं करनी में जमीन आसमान का अंतर दिखाई दे रहा है। कुछ दिन पहले जिस जगह की कीमत 12 करोड़ रुपये थी उसकी कीमत सरकार ने दो दिन पहले 3 करोड़ रुपया कर दिया। जमीन की वेंच मार्क वैल्यूएशन कम नहीं होती है, सरकार के इस निर्णय से संदेह होता है। असुरक्षित घरों को तोड़ना अच्छी बात है, मगर सभी घरों को तोड़ देना, वह भी बिना पुनर्वास के कहां का न्याय है। हम इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और हमें विश्वास है सत्य की विजय होगी। 

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उन्होंने, सरकार से सवाल करते हुए कहा कि 75 मीटर तोड़ने से क्या पुरी का विकास हो पाएगा, सरकार को आखिर ये 75 मीटर का आंकड़ा कहां से मिला है, इसे स्पष्ट करे। वीपी.दास कमेटी में भी 75 मीटर का जिक्र नहीं हैं। सरकार विधानसभा में चर्चा करती, मगर वह भी नहीं किया। महंत से नहीं पूछा, यह कहां का न्याय है, सरकार पूरी तरह से मनमानी कर रही है। 1901 में रघुनंदन लाइब्रेरी बनी थी, जिसे तोड़ दिया। इस लाइब्रेरी कई पुरातन ऐतिहासिक दस्तावेज थे उसे कहां रखा किसी को कोई पता नहीं है। यह सरकार महापप्रभु की परंपरा को तोड़ने का काम कर रही है। 522 चांदी ईंट को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। उसे वापस कर दो, उससे मठों की मरम्मत की जाती।

वहीं सरकार ने इनके विरोध को दरकिनार करते हुए दो दिन की बंदी के बाद मंगलवार से पुन: अपने मिशन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। जानकारी के मुताबिक 75 मीटर के दायरे में आने वाले सिंहद्वार थाना एवं दमकल कार्यालय को मंगलवार को तोड़ने की सूचना है।

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