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अपने धाम वापस लौटे महाप्रभु जगन्नाथ

महाप्रभु श्री जगन्नाथ बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र एवं सुदर्शन के साथ रविवार क

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 03:18 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 08:15 PM (IST)
अपने धाम वापस लौटे महाप्रभु जगन्नाथ

जेएनएन, भुवनेश्वर/पुरी : महाप्रभु जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ आठ दिन तक गुडिंचा मंदिर स्थित मौसी मां घर में रहने के बाद रविवार को वापस अपने धाम लौट आए। इस दौरान श्रीक्षेत्र जयकारों से गूंजता रहा। शाम तीनों विग्रहों का रथ श्रीमंदिर के सामने पहुंचा। सबसे पहले प्रभु बलराम जी का तालध्वज रथ श्रीमंदिर के सामने शाम चार बजे पहुंचा। इसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ 4:45 बजे और अंत में महाप्रभु भगवान जगन्नाथ जी का नंदीघोष रथ 5:35 बजे श्रीमंदिर के सामने पहुंचा। इसके बाद तीनो रथ पर विराजमान विग्रहों का दर्शन करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। 50 साल बाद यह पहला अवसर है जब गुडिंचा मंदिर में निर्धारित समय से पूर्व पहंडी बिजे (तीनों विग्रहों को रथ तक लाने की प्रकिया)संपन्न हो जाने से तीनों रथ समय से श्रीमंदिर के सामने समय से पहुंच गए। इससे पहले 50 साल पूर्व इसी तरह से चतुर्धा मूर्तियों की पहंडी बिजे निर्धारित समय से तीन घटा पहले सपन्न हुई थी और करीबन साढे़ पाच बजे तक तीनों रथ श्रीमंदिर के पास पहुंच गए थे। इसके महाप्रभु का रथ पर ही सोमवार को सोनावेश किया जाएगा।

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इससे पूर्व महाप्रभु जगन्नाथ बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र एवं सुदर्शन के साथ रविवार को बाहुड़ा यात्रा में जन्म वेदी से रत्न वेदी के लिए रवाना हुए। महाप्रभु की इस बाहुड़ा को देखने के लिए भारी बारिश के बावजूद बड़ी संख्या में भक्तों का समागम श्रीक्षेत्र धाम में नजर आया। हालांकि एक दिन पहले ही जहां बड़दांड पर घुटने तक पानी भरा हुआ था, मौसम विभाग ने रविवार को भी बारिश की चेतावनी जारी की थी, सब बाधाओं को पीछे छोड़ते हुए महाप्रभु को रत्न वेदी तक पहुंचाने के लिए भक्तों में उत्साह देखते ही बन रहा था। बड़दांड पर एकत्र पानी को पंपिंग सेट लगा कर खाली किया गया। रविवार की सुबह से लेकर श्रीक्षेत्र धाम में मौसम भी सुहाना बना रहा। प्रशासन की तरफ से बाहुड़ा यात्रा स्थल से लेकर पूरे श्रीक्षेत्र धाम में चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा।

भगवान की बाहुड़ा यात्रा में पूर्व रीति नीति के मुताबिक रविवार को सुबह 9 बजे श्रीसुदर्शन को पहंडी बिजे में लाकर 9:30 बजे देवी सुभद्रा के रथ, दर्पदलन पर विराजमान किया गया। इसके बाद 9:30 बजे प्रभु बलभद्र को पहंडी बिजे में लाया गया। प्रभु बलभद्र के पीछे-पीछे देवी सुभद्रा को 10 बजे पहंडी बिजे में लाकर 10 बजकर 24 मिनट पर दर्पदलन रथ पर विराजमान किया गया। इसके साथ ही प्रभु बलभद्र को तालध्वज पर रथारूढ़ किया गया। प्रभु बलभद्र एवं देवी सुभद्रा के पहंडी में आते ही मां सुभद्रा के जयकारों से श्रीक्षेत्र धाम गुंजायमान हो उठा। इसके बाद जगत के नाथ महाप्रभु श्रीजगन्नाथ को 10 बजकर 20 मिनट पर पहड़ी बिजे में लाकर नंदीघोष रथ पर विराजमान किया गया। कालिया ठाकुर के पहंडी बिजे में आते ही जैसे पूरा ब्रह्मांड झूम उठा। हर ओर जय जगन्नाथ का जयघोष गुंजायमान रहा। बड़दांड में लोक नृत्य-गीत के साथ भक्तों, कलाकारों ने कालिया ठाकुर का स्वागत किया। झूमते हुए पहंडी बिजे में नंदीघोष रथ की तरफ बढ़ रहे महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी की एक झलक पाने को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई जग के नाथ जगन्नाथ के दर्शन-पूजन को आतुर दिखा।


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