Mayurbhanj Crime: सिमिलिपाल में हाथी का अवैध शिकार करने वाले 4 शिकारी गिरफ्तार, आरोपियों से दांत भी किए बरामद
Mayurbhanj Crime ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल नेशनल पार्क के तलबंध वन्यजीव रेंज में एक हाथी के शिकार के मामले में शनिवार को कम से कम चार शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। इस कार्रवाई में 50 से अधिक वन्य और पुलिसकर्मी शामिल थे।
अनुगुल, जागरण संवाददाता। ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल नेशनल पार्क के तलबंध वन्यजीव रेंज में एक हाथी के शिकार के मामले में शनिवार को कम से कम चार शिकारियों को गिरफ्तार किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि शिकारियों ने हाथी को मार डाला था और उसके दांत निकाल दिए थे। बिसोई पुलिस और सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) की संयुक्त टीम ने रगुडीडीहा और मटियाली साही इलाके समेत तीन जगहों पर बीती रात छापेमारी कर चार शिकारियों को गिरफ्तार किया है। इस कार्रवाई में 50 से अधिक वन्य और पुलिसकर्मी शामिल थे।
इस तरह पकड़े गए शिकारी
संयुक्त टीम को जानकारी मिली कि शिकारी दांत के लिए सौदा करने की योजना बना रहे हैं, जिसके बाद छापेमारी कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। एक आरोपी ने हाथी के दांतों को अपने घर के पिछले हिस्से में सुनसान जगह पर छुपा कर रखा था। छापेमारी टीम के सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार अन्य वन्यजीव अपराधों में शिकारियों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है। इसके अलावा अवैध वन्यजीव व्यापार में शामिल अन्य गिरोहों के साथ उनके संबंधों का भी पता लगाया जा रहा है।
21 जनवरी को सिमिलिपाल में मिला था हाथी का शव
गौरतलब है कि 21 जनवरी को सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के तलबंध वन्यजीव रेंज से हाथी का सड़ा हुआ शव बरामद किया गया था। इससे पहले एसटीआर दक्षिण के तहत जेनाबिल रेंज के कई वन विभाग के अधिकारियों को दिसंबर 2022 में गुरंडी बीट के तहत एक हाथी के शव को जलाकर सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जानकारी के लिए बताते चलें कि अंतरराष्ट्रीय तस्कर अपने एजेंट के माध्यम से जंगली इलाकों में आदिवासी, या जंगल मे रहने वाले गरीब लोगों को प्रशिक्षण दे कर हाथी का अवैध शिकार करवाते हैं। इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय बाजारों में बेचने से पहले हाथी दांत के कारीगरों को अवैध रूप से हाथी दांत तराशने के लिए एजेंट द्वारा पश्चिम बंगाल में कोलकाता के गुप्त स्थानों पर ले जाया जाता है।
वहीं अगर सरकारी एजेंसियों द्वारा सही से जांच की जाए तो इन छोटे शिकारियों को पकड़ कर वाहवाही लूटने के बजाय उनके माध्यम से उन बड़े अपराधियों (अंतरास्ट्रीय गिरोह ) तक पहुंचा जा सकता है।