Odisha: आत्मसमर्पण करने वाले 224 नक्सली बने आत्मनिर्भर
Odisha ओडिशा में पिछले 10 साल में 431 नक्सलियों व नक्सल समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़कर ये नक्सली आत्मनिर्भर बन रहे हैं। राज्य सरकार ने पिछले एक दशक में आत्मसमर्पण करने वाले 431 नक्सलियों में 224 नक्सलियों का पुनर्वास किया।
भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। Odisha News: ओडिशा के एक दर्जन से अधिक जिलों में कुछ समय पहले तक नक्सलियों का आतंक (Naxalite Terror ) था। छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और मध्य प्रदेश के नक्सली कमांडर ओडिशा (Odisha) में आकर डेरा डाल देते थे और आदिवासियों को डरा-धमकाकर उन्हें अपने संगठन में शामिल कर लेते थे। ओडिशा से ही वह पड़ोसी राज्यों में भी नक्सली गतिविधयों को अंजाम देते थे। निरीह आदिवासियों को जबरन नक्सली बनाकर वह ओडिशा के कई जिलों में खूनी खेल खेला करते थे। विरोध करने वालों की हत्या कर दी जाती थी। पिछले कुछ वर्षों से पुलिस और सुरक्षाबलों की ओर से लगातार चलाए जा रहे नक्सलविरोधी आपरेशनों की वजह से अब नक्सली यहां कमजोर पड़े हैं।
पुलिस की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठा रहे नक्सली
वहीं, पुलिस की आत्मसमर्पण (Surrender) नीति का लाभ उठाकर तेजी से नक्सली समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ रहे हैं। राज्य को नक्सलियों से मुक्ति दिलाने की दिशा में राज्य सरकार की योजनाओं के साथ ही बार्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के सफल आपरेशन की भी बड़ी भूमिका रही है। बीएसएफ के सख्त पहरे के कारण नक्सली आत्मसमर्पण करना ही बेहतर समझ रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में राज्य में 431 नक्सलियों व नक्सल समर्थकों ने आत्मसमर्पण किया है। समाज की मुख्यधारा से जुड़कर ये नक्सली आत्मनिर्भर बन रहे हैं। राज्य सरकार ने पिछले एक दशक में आत्मसमर्पण करने वाले 431 नक्सलियों में 224 नक्सलियों का पुनर्वास किया है। 2012 से 2022 तक राज्य सरकार के द्वारा बनाई गई आत्मसमर्पण व पुनर्वास योजना में उन्हें शामिल किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 224 नक्सलियों के पुनर्वास के लिए कुल छह करोड़ 73 लाख छह हजार रुपये खर्च किए गए हैं। उन्हें घर, रुपये व अन्य सुविधाएं देने के साथ ही सरकार ने आत्मनिर्भरर बनाने की भी व्यवस्था की है।
अब ओडिशा के कुछ ही जिलों में नक्सली सक्रिय
ओडिशा के मात्र कुछ ही जिलों में ही अब नक्सली सक्रिय हैं। ऐसे में अब इन बचे नक्सलियों की पहचान कर प्रदेश सरकार नक्सल मुक्त राज्य बनाने पर फोकस कर रही है। कई जिलो में ओडिशा पुलिस और बीएसएफ ने कांबिंग आपरेशन तेज कर दिया है। अत्याधुनिक तकनीक व ड्रोन के जरिये नक्सलियों की गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। हालांकि अभी भी कुछ जिलों में समय-समय पर नक्सली अपनी उपस्थिति दर्जा कराते रहते हैं। इस दौरान नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए 557 करोड 62 लाख 86 हजार रुपये सरकार ने खर्च किए हैं। इस खर्च में केंद्रीय जवानों का भत्ता शामिल नहीं है। जहां नक्सली सक्रिय हैं, वहां बीएसएफ जवानों का कैंप खोला गया है। आदिवासियों को अब नक्सली भ्रमित कर अपने कैंप में शामिल नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि स्थानीय आदिवासियों को नक्सलियों से दूर रखने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- नक्सल मुक्त प्रदेश की तरफ तेजी से बढ़ा रहा है ओडिशा
- मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं 431 नक्सली
- नक्सलियों के पुनर्वास के लिए सरकार ने खर्च किए हैं छह करोड़ 73 लाख रुपये
- नक्सलियों से मुकाबला करने में खर्च हुए हैं 557 करोड़ 62 लाख रुपये