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Sawan Month 2020: सावन के पहले सोमवार पर सुनसान रहे शिवालय, नहीं लगे बाबा के जयकारे

Sawan Month 2020 सावन की पहली सोमवारी पर प्रदेश के शिवालय सुनसान रहे नहीं दिखे बमबोले के भक्त कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार ने कांवड़ यात्रा पर लगा रखी है रोक।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 01:36 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 01:36 PM (IST)
Sawan Month 2020: सावन के पहले सोमवार पर सुनसान रहे शिवालय, नहीं लगे बाबा के जयकारे

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। प्रदेश के तमाम शिवालयों में जहां हर साल सावन महीने के पहली सोमवारी को हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ लगती थी, खासकर कांवड़ लेकर आने वाले भक्तों की भोले बाबा को जल चढ़ाने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें लगती थी, मगर इस साल कोरोना संकट के कारण परिस्थिति भिन्न है। पुरी के लोकनाथ मंदिर, भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर, कटक में गड़गड़ेश्वर पीठ, धवलेश्वर मंदिर, नयागड़ के लड्डू बाबा पीठ, ढेंकानाल जिले के कपिलास मंदिर, भद्रक जिले के आखंडलमणि, बालेश्वर के झाड़ेश्वर आदि राज्य के तमाम प्रसिद्ध शिवालय सुनसान रहे। इन तमाम शिवालयों के पास ना ही कांवड़ियों की टोली दिखी और ना ही भोले बाबा के जयकारे सुनाई दिए।   

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कांवड़ यात्रा पर रोक

जानकारी के मुताबिक पहले ही राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि इस साल कांवड़िया नदी से पानी उठाकर कांवड़ यात्रा नहीं निकाल सकते हैं और ना ही उन्हें शिवालयों में जाकर जल चढ़ाने की अनुमति है। कोरोना के लिए धार्मिक कार्य पर केन्द्र एवं राज्य सरकार दोनों ने रोक लगा रखी है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए विशेष राहत आयुक्त (प्रदीप कुमार जेना ने कहा था कि राज्य के सभी धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए 31 जुलाई तक बंद रहेंगे। सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक उत्सव पर सरकार ने रोक जारी की है। सावन के महीने में राज्य के कुछ धार्मिक जगहों से श्रद्धालु पानी लेकर नंगे पांव पैदल चलकर शिवालयों में जल चढ़ाने के लिए जाते हैं।

विशेष रूप से शनिवार एवं रविवार को वे पानी उठाते हैं और सोमवार को शिवालयों में जल चढ़ाते हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार की तरफ से जारी निर्देशनामा के मुताबिक केवल पहले ही सोमवार को ही नहीं बल्कि 31 जुलाई तक कोई भी कांवड़िया भक्त ना ही कहीं से जल उठा सकता है और ना ही कांवड़ यात्रा निकाल सकता है, ना ही किसी मंदिर में जल चढ़ा सकता है। ऐसे में पूरे सावन में इस साल कांवड़ियों के जत्थे नहीं दिखाई देने वाले हैं।


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