कबाड़ बन गई हैं आदिवासियों की सुविधा के लिए खरीदी गई 20 सिटी बसें, की जा रही कबाड़ियों को बेचने की तैयारी
जनजातीय क्षेत्रों में यात्रियों के सुरक्षित आवागमन के लिए इन बसों को खरीदने में सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं लेकिन अब आलम यह है कि इन्हें कबाड़िया को बेचना पड़ेगा। इसके पीछे वजह देखभाल का अभाव है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए गए, जिनसे जनजातीय क्षेत्रों में यात्रियों के सुरक्षित आवागमन के लिए 20 सिटी बसें खरीदी गईं। हालांकि, ये बसें सड़क पर चलने के बदले जंगल में रखे-रखे कबाड़ बन गई हैं। स्थिति यह है कि इन बसों को अब कबाड़िया को बेचने के लिए प्रशासनिक उपाय शुरू कर दिए गए हैं। एसी बसें कोरापुट जिले के जयपुर में सिटी बस टर्मिनल पर पड़ी हैं।
सुचारू आवागमन के लिए चलाई गई थीं सिटी बसें
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, 30 जून 2016 को जयपुर से 20 बसों का उद्घाटन किया गया था। कोरापुट के शहरी क्षेत्रों में सरकार द्वारा कम लागत और सुचारू आवागमन के लिए सिटीबस सेवा शुरू की गई थी। ये बसें जिले के जयपुर, कोरापुट और सिमलीगुडा के लिए चलती थीं। बाद में सिटी बसों ने जिले के बोरीगुम्मा और कोटापद की यात्रा की। इसके बाद जिला प्रशासन ने 20 और सिटी बसें लाने की योजना बनाई थी।
सेवा बंद होने से लोग हुए नाराज
गर्भवती और दिव्यांग लोग बस में मुफ्त यात्रा कर रहे थे, लेकिन अब लंबे समय से सिटी बस सेवा बंद होने से जनाक्रोश बढ़ गया है। प्रशासन ने लोगों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। बस सेवा कुछ ही महीनों के बाद ठप हो गई क्योंकि इस पर ध्यान नहीं दिया गया था। नतीजतन जयपुर में सिटी बस टर्मिनल पर बसें क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
बसों को कबाड़ में बेचने की तैयारी
इस स्थिति को देखते हुए नगर विकास विभाग के अपर सचिव ने कोरापुट जिला प्रशासन को पत्र लिखकर रखे रखे नष्ट हो चुकीं सिटी बसों को कबाड़ में बेचने और बसों के नुकसान के लिए सिटी बसें चलाने वाली कंपनी से पैसे वसूलने को कहा है। जिला क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और जिला प्रशासन ने सिटी बस सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी कर काम पूरा कर लिया है। उन्होंने जिला कलेक्टर की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की, लेकिन टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।