लागतार बारिश से उफनाई राज्य की नदियां
राजधानी भुवनेश्वर समेत पूरे राज्य में लगातार बारिश जारी रहने से राज्य की नदियां उफना गई हैं।
जासं, भुवनेश्वर : राजधानी भुवनेश्वर समेत पूरे राज्य में लगातार बारिश जारी रहने से राज्य की तमाम नदियां उफना गई है। ऐसे में विभिन्न जगहों पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई तथा हजारों लोग पानी में घिर गए हैं। मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटे के दौरान भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है। ऐसे में बाढ़ एवं बारिश से तत्काल राहत लोगों नहीं मिलने वाली है। विशेष राहत आयुक्त विष्णुपद सेठी ने कहा है कि हम बाढ़ की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
खुर्दा जिला के विभिन्न क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। दया नदी की शाखा नदी राजुआ में बाढ़ का पानी आ जाने से खुर्दा, कणास ब्लॉक के 6 पंचायत के 25 गांव पूरी तरह से जलमग्न हो गए हैं। जिले में लगभग 30 हजार लोगों के बुरी तरह से प्रभावित होने की खबर है। यहां कहीं पर घुटने भर पानी तो कहीं पर सीने तक बाढ़ का पानी हिलोरे मार रहा है। गांव की गलियां नाला में तब्दील हो गई हैं।
हीराकुद डैम के गेट खोलने के बाद राजुआ नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है। नदी में आयी बाढ़ के कारण मानपुर, ओरमी, रायपुर, डिहखला आदि पंचायत पानी के घेरे में है। इसी तरह कणास ब्लॉक के 6 से अधिक पंचायतों में बाढ़ ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है। दया, लुणा, राजुआ एवं मकरा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से कई गावों का संपर्क शेष दुनिया से कट गया है। बालीपाटणा- दोकंदा गांव का संपर्क बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कट गया है। प्रशासन प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री एवं सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के प्रयास में जुट गया है।
वहीं मौसम विभाग ने आगामी दो दिनों तक राज्य के विभिन्न जिलों में भारी से भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की है। इनमें खुर्दा, जगतिसंहपुर, भद्रक, जाजपुर, बालेश्वर, केंद्रपाड़ा, ढेंकानाल, मयूरभंज, क्योंझर, सुंदरगढ़, देवगढ़, संबलपुर, झारसुगुड़ा आदि जिले शामिल हैं।
हालांकि प्रशासन की तरफ से आवश्यकता के मुताबिक राहत सामग्री न पहुंचने से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि प्रशासनिक राहत ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। जहां पर 30 हजार लोग प्रभावित हुए हैं, वहां पर 500 खाद्य पैकेट रेडक्रास की तरफ से बांटे गए हैं। पांच नाव की जगह पर मात्र दो नाव की व्यवस्था की गई है। लोगों का कहना है कि पिछले पांच दिन से उनके पशु उपवास में हैं। बांध कर रखना उनके लिए खतरे के समान है मगर इसके अलावा और कोई व्यवस्था भी हमारे पास नहीं है।