Move to Jagran APP

लाखों भक्तों ने खींचा महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रथ

देश के प्रमुख चार धाम में से एक श्रीक्षेत्र धाम पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा गुरुवार से शुरू हुई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 06:51 AM (IST)
लाखों भक्तों ने खींचा महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रथ
लाखों भक्तों ने खींचा महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रथ

जेएनएन, भुवनेश्वर : देश के प्रमुख चार धाम में से एक श्रीक्षेत्र धाम पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा गुरुवार से शुरू हुई। धार्मिक रूप से अति महत्वपूर्ण इस रथयात्रा में भाग लेने देश-दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुरी पहुंचे और भगवान श्री जगन्नाथ का दर्शन-पूजन कर उनका रथ खींचा। इस दौरान श्रीमंदिर प्रशासन एवं जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी। शहर में जगह जगह पुलिस बल के साथ सीसीटीवी कैमरों के जरिए हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी। मौसम अनुकूल होने से भक्तों का भारी जमावड़ा रथयात्रा में हुआ। भगवान श्री जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर भव्य यात्रा में निकलकर अपनी मौसी के घर के लिए रवाना हुए। महाप्रभु की मौसी का घर गुंडिचा देवी का मंदिर है, जहां भगवान हर साल एक सप्ताह रहने के लिए जाते हैं।

loksabha election banner

हर साल आयोजित होने वाली इस रथयात्रा के लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं। इनमें महाप्रभु का रथ नंदीघोष, बड़े भाई बलभद्र का रथ तालध्वज और देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन शामिल है। ये सभी रथ हर साल नए बनाए जाते हैं और इन्हें बनाने की प्रक्रिया बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है। नौ दिन तक आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भगवान जगन्नाथ जहां एक ओर विभिन्न रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं वहीं उनसे जुड़े कई पर्व भी मनाए जाते हैं।

हेरा पंचमी 8 को : हेरा पंचमी का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की पत्नी हैं। जब भगवान अपने निवास स्थान नहीं लौटते तो माता परेशान हो जाती हैं और गुंडिचा मंदिर जाकर उनसे मिलती हैं। इस दौरान मंदिर से वह पालकी में विराजमान निकलती हैं।

बहुड़ा यात्रा 12 को : इस दिन भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर से लौटकर वापस अपने निवास स्थान आते हैं। इस दिन भी यह यात्रा शाम 4 बजे शुरू होगी।

सोना वेश 13 को : इस दिन भगवान के विग्रह का नया श्रृंगार किया जाता है और दिन भर भजन-कीर्तन के साथ पूजा-पाठ होता है। इस पर्व की शुरुआत राजा कपिलेंद्र देव के शासन काल के दौरान 1430 ईसवी में की गई थी। इसके मुख्य रिवाज का संभावित समय शाम 5 बजे से रात 11 बजे बताया जाता है।

नीलाद्रि बिजे 15 को : इस दिन भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन और पत्नी के विग्रह को वापस श्रीमंदिर में विराजमान किया जाएगा। इससे पहले जो भी रस्म और रिवाज निभाए जाएंगे वे सभी जगन्नाथ मंदिर के गर्भ ग्रह से बाहर ही संपादित होंगे।

पुरी के अलावा ये रथयात्राएं भी हैं खास : महाप्रभु श्री जगन्नाथ के लीलाक्षेत्र पुरी की रथयात्रा तो विश्व प्रसिद्ध है ही मगर इसके अलावा राज्य की कई और रथयात्राएं होती हैं जो अपनी अलग पहचान बनाती हैं। क्योंझर में आयोजित रथयात्रा का विशेषत्व यह है कि यहां का रथ विश्व का सबसे ऊंचा रथ माना जाता है जिसकी ऊंचाई 72 फीट की है। इस रथ के निर्माण में 100 कारीगर नियोजित किए जाते हैं और पारंपरिक रीति नीति से तीन महीने के अथक परिश्रम से इस बड़े रथ का निर्माण किया जाता है। इसकी विशेषता है कि एक ही रथ में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा तथा सुदर्शन जी को आरूढ़ कराया जाता है। केंद्रपाड़ा के तुलसी क्षेत्र में होने वाली रथयात्रा पुरी की तरह एक दिन न होकर दो दिन तक चलती है। यहां का रथ दूसरा सबसे बड़ा रथ है। बारीपदा में आयोजित होने वाली रथयात्रा की विशेषता यह है कि यहां देवी सुभद्रा का रथ केवल महिलाएं ही खींचती हैं।

राजधानी में भी रथयात्रा को लेकर दिखा उत्साह : महाप्रभु श्री जगन्नाथ की पवित्र रथयात्रा के मौके पर राजधानी भुवनेश्वर में भी भक्तों जबर्दस्त उत्साह देखा गया। इस्कॉन मंदिर, वाणी श्रीक्षेत्र, पटियागड़, आरसीएम, वाणीविहार, चंद्रशेखरपुर, पुराना भुवनेश्वर, यूनिट-8, जागमरा आदि इलाके में आयोजित होने वाली रथयात्रा देखने लोग बड़ी संख्या में जुटे। इस्कॉन मंदिर में भोर 4 बजे मंगल आरती के उपरांत अन्य नीतियां संपादित की गई। सुबह 8.30 बजे रथ प्रतिष्ठा कार्य संपन्न होने के बाद पहंडी बिजे कार्यक्रम किया गया। इसी तरह कीट-कीस परिसर के वाणी श्रीक्षेत्र में रथयात्रा को लेकर उत्साह दिखा। सुबह 8 बजे महाप्रभु को खिचड़ी भोग लगाया गया। 9 बजे रथ प्रतिष्ठा का कार्य पूरा होने के बाद पुरी की तरह नीति रीतिपूर्वक रथयात्रा निकाली गई।

एनएचआइ ने नहीं माना सरकार का आग्रह : महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी की पवित्र रथयात्रा के लिए राज्य सरकार ने पिपली टोल गेट पर कर वसूली न करने का जो आग्रह किया था उसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआइ) ने अस्वीकार कर दिया। इससे पुरी जाने वाले यात्रियों को परेशानी हुई। रथयात्रा समन्वय बैठक में साफ किया गया था कि यात्रियों की सुविधा के चलते भुवनेश्वर-पुरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर पिपिली टोलगेट में रथयात्रा के दिन कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा। इस आशय का पत्र राज्य सरकार द्वारा एनएचआइ को लिखा गया। लेकिन राज्य सरकार का आग्रह नामंजूर कर दिया जिससे गुरवार को पुरी जाने वाले वाहनों की पिपिली टोल गेट पर लंबी कतारें लग गई। इससे तीर्थयात्रियों को न सिर्फ असुविधा का सामना करना पड़ा बल्कि सैकड़ों लोग रथयात्रा में शामिल होने से वंचित हुए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.