जन्माष्टमी के आते ही पूरे देश में शुरू हो जाती है इस दर्दनाक घटना की चर्चा
11 साल पहले जन्माष्टमी के दिन हुर्इ स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केन्द्र बनी थी।
भुवनेश्वर, जेएनएन। राजधानी समेत पूरे राज्य में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों में उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी के चलते न सिर्फ राजधानी भुवनेश्वर बल्कि पूरे राज्य में विभिन्न संगठनों एवं व्यक्ति विशेष में उत्सव का माहौल देखा जा रहा है। हालांकि इन सबके बीच जन्माष्टमी आते ही बहुचर्चित स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती हत्या घटना की चर्चा भी पूरे प्रदेश में शुरू हो जाती है।
जानकारी के मुताबिक जन्माष्टमी के दिन हत्या घटना को 11 साल भी पूरा हो जाएगा, मगर आज तक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। 23 अगस्त 2008 को बड़े ही निर्दयता पूर्वक स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की हत्या कर दी गई थी। उस दिन भी जन्माष्टमी थी। बड़े ही धूमधाम के साथ आश्रम में जन्माष्टमी मनायी जा रही थी कि अचानक हथियार के साथ कुछ लोग आश्रम के अन्दर घुस जाते हैं और लोगों को कुछ समझ में आए, स्वामी जी को इन लोगों ने गोली मार दी। उनकी रक्षा करने के लिए आगे बढ़े कुछ भक्त इस हमले का शिकार हुए। यह घटना उस समय प्रदेश, देश एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केन्द्र बनी थी।
इस घटना के बाद करीबन दो महीने तक उक्त क्षेत्र में हिंसात्मक माहौल बना रहा। कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। भारी मात्रा में संपत्ति का नुकसान हुआ। मृतक प्रत्येक परिवार को राज्य सरकार ने पांच लाख रुपये की सहायता राशि दी। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर और तीन लाख रुपये की सहायता राशि मृतक के परिजनों को सरकार की तरफ से दी गई। स्वामी जी की हत्या घटना की जांच पहले पुलिस ने शुरू किया और फिर बाद में इसे क्राइमब्रांच को दिया गया। पहले चरण में आठ लोगों को गिरफ्तार कर कोर्ट चालान किया गया था, जिसमें सात लोगों को अदालत ने दोषी साबित किया जबकि एक निर्दोष छूट गया।
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इसी घटना में माओवादी नेता सव्यसाची पंडा, आजाद के साथ कुछ लोगों के नाम पर मुकदमा आज भी अदालत में विचाराधीन है। घटना की गम्भीरता को देखते हुए सरकार ने जांच आयोग का भी गठन किया। जस्टिस शरतचन्द्र महापात्र आयोग सरकारी एवं गैरसरकारी गवाहों की गवाही ली। 2012 में जस्टिस महापात्र के निधन के बाद जस्टिस ए.एस.नाइडू को जांच आयोग के तौर पर नियुक्त किया गया। आयोग के पास कुल 300 लोगों ने गवाही दी। इनमें से 78 सरकारी तथा 222 गैरसराकरी गवाह थे। नाइडू आयोग ने दिसम्बर 2015 में 1020 पन्ने वाली एक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रदान किया। इस बीच चार साल का समय निकल गया है मगर आयोग की रिपोर्ट को आज तक सर्वाजनिक नहीं किया गया, इसे लेकर स्वामी जी के अनुयायियों असंतोष का माहौल है।
वहीं दूसरी तरफ स्वामी जी के आश्रम जलेसपटा में जन्माष्टमी पालन को लेकर सजावट के कार्य पूरे कर लिए गए हैं। स्वामी जी के श्राद्ध उत्सव के लिए स्थानीय लोगों में उत्साह देखा जा रहा है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आश्रम परिसर एवं बाहर व्यापक पुलिस बल की व्यवस्था की गई है।