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Odisha: वीएलएसआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत

Odisha वीएलएसआरएसएएम मिसाइल जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है तथा इसकी मारक क्षमता करीब 40 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल अपने चारों दिशाओं से 360 डिग्री के लक्ष्य से किसी भी दिशा से आने वाले ड्रोन मिसाइल या लड़ाकू विमान को मार गिराने में सक्षम है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 08:55 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 08:55 PM (IST)
Odisha: वीएलएसआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत
वीएलएसआरएसएएम मिसाइल का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत। फाइल फोटो

बालेश्वर, लावा पांडे। रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन के वैज्ञानिकों ने सोमवार अपरान्ह करीब 1:30 बजे चांदीपुर के आइटीआर परिसर के एलसी 3 से वीएलएसआरएसएएम नामक मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया। इसके मात्र 3 घंटे के बाद ही 4:42 पर इसी एल सी 3 से दूसरा सफल परीक्षण इसी मिसाइल का किया गया। इस मिसाइल का पूरा नाम है वर्टिकली लॉन्चर्ड शॉर्ट रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम)। इसे मुख्यत नौसेना और वायुसेना को मजबूत करने की दिशा में मजबूत कड़ी माना जा रहा है। यह जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है तथा इसकी मारक क्षमता करीब 40 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल अपने चारों दिशाओं से 360 डिग्री के लक्ष्य से किसी भी दिशा से आने वाले ड्रोन मिसाइल या लड़ाकू विमान को मार गिराने में पूरी तरह सक्षम है।

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सूत्रों की माने तो इस मिसाइल को बनाने के पीछे यह उद्देश्य बताया जा रहा है कि अन्य कई पुराने मिसाइलों को बदलने के उद्देश्य से इस नए मिसाइल को फिर से इंट्रोड्यूस किया गया है। डीआरडीओ और कई शॉर्ट रेंज मिसाइलो का निर्माण कर रहा है। इस मिसाइल के बन जाने से न केवल नौसेना बल्कि वायु सेना भी ताकतवर बनेगी। इसके परीक्षण के मौके पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिकों का दल मौके पर मौजूद था इस परीक्षण को देखते हुए सोमवार सुबह 5:00 बजे से ही उक्त परीक्षण स्थल के 3 किलोमीटर इलाकों में आने वाले गांव के करीब 800 परिवारों के 10000 लोगों को सुरक्षित तीन अलग-अलग अस्थाई शिविरों में रखा गया था। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से विधिवत लाउडस्पीकर के जरिए एक दिन पहले ही उक्त लोगों को वहां से हटने की सूचना दे दी गई थी तथा करीब 30 यात्री गाड़ियों का प्रयोग कर इन लोगों को सुबह अस्थाई शिविरों में लाया गया था तथा मिसाइल के परीक्षण के बाद फिर शाम को उनके घरों को वापस भेज दिया गया था।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी ज्ञान कौशल से कई किस्म के नए-नए मिसाइलों का आविष्कार और परीक्षण करता रहा है। मिसाइल टेक्नोलॉजी के लिए भारत को अब किसी भी देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। क्योंकि हमारे वैज्ञानिक एक के बाद एक जल थल और वायु तीनों सेनाओं को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठा रहे हैं। सब जानते हैं कि आने वाला युद्ध अब मिसाइलों और टैंकों से ही जीतना संभव होगा पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत अब ऐसी मिसाइलें विकसित और परीक्षण कर रहा है, जिससे कि भारतीय सेना के तीनों अंग जल स्थल और वायु की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इन घातक मिसाइलों के साथ ही भारत चाहे हवाई युद्ध हो या फिर जल युद्ध या फिर धरती पर युद्ध आज वह किसी भी देश से किसी भी मायने में पीछे नहीं रहेगा। सूत्रों की मानें तो आने वाले और चंद दिनों में इसी तरह के और कई नए नए किस्म के और कई पुराने मिसाइलों का परीक्षण किए जाने की संभावना है। 


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