जनता के मूड को लेकर सियासी रणनीतिकार ऊहापोह में
उत्तर ओडिशा के प्राणकेंद्र कहे जाने वाले बालेश्वर को हमेशा महत्वपूर्ण सीट माना गया है।
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर : उत्तर ओडिशा के प्राणकेंद्र कहे जाने वाले बालेश्वर को हमेशा ही महत्वपूर्ण सीट माना जाता है। इस बार भी यह सीट चर्चा के केंद्र में है। पिछली बार बीजू जनता दल (बीजद) ने भाजपा प्रत्याशी को 1 लाख 40 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। सन 2014 के चुनाव में बीजद के रवींद्र कुमार जेना को 4 लाख 33 हजार 482 वोट मिले थे जबकि भाजपा के प्रताप षाड़ंगी को 2 लाख 91 हजार 129 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीकांत जेना तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार भाजपा ने फिर से प्रताप षाड़ंगी को प्रत्याशी बनाया है। बीजद के सांसद रवींद्र जेना पर चिटफंड घोटला का आरोप लगने के बाद भाजपा ने आस लगा रखी है कि यह सीट वह जीत सकती है। पिछले बार 7 विधानसभा सीट वाले बालेश्वर लोकसभा क्षेत्र में बीजद को 6 एवं भाजपा को एक सीट पर जीत मिली थी। भाजपा ने रेमुणा सीट जीतने के साथ नीलगिरी और बालेश्वर सीट पर दूसरा स्थान हासिल किया था। इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का भी प्रभाव है। हालांकि 2014 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडने वाले श्रीकांत जेना इस बार मैदान में नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निरंजन पटनायक के पुत्र नवज्योति पटनायक यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बनाए गए हैं। बीजद सांसद रवींद्र जेना को फिर से मैदान उतारा है। कुल 15 लाख 11 हजार 980 मतदाता वाली इस संसदीय क्षेत्र पर राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस बात पर टिकी हुई है कि ओडिशा की राजनीति से अलग हटकर वोट करने वाले इस क्षेत्र के मतदाताओं का मूड क्या है।